आलम के कार्यकाल में 3000 करोड़ कमीशन की हुई वसूली

विशेष संवाददाता (रांची). प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने राज्य के तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री, उनके आप्त सचिव संजीव लाल और सहायक जहांगीर आलम के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग के मामले में आरोप

By Prabhat Khabar Print | July 5, 2024 12:34 AM

विशेष संवाददाता (रांची).

प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने राज्य के तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री, उनके आप्त सचिव संजीव लाल और सहायक जहांगीर आलम के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग के मामले में आरोप पत्र दायर किया. इडी द्वारा दायर आरोप पत्र में तीनों पर मनी लाउंड्रिंग के आरोप लगाये गये हैं. इसमें कहा गया है कि विभाग द्वारा संचालित विकास योजनाओं में हर स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कमीशन की दर तय थी. आलमगीर के कार्यकाल में कमीशन के तौर पर करीब 3000 करोड़ रुपये वसूले जाने और उसकी लाउंड्रिंग करने का आरोप लगाया गया है. आरोप पत्र में कहा गया है कि कमीशन की राशि वसूलने और बंटवारे के लिए विभाग में एक गिरोह सक्रिय था. इसमें ठेकेदार, इंजीनियर सहित विभागीय अधिकारी शामिल थे. विभागीय मंत्री के लिए विकास योजनाओं में 1.5 प्रतिशत कमीशन निर्धारित था. इडी ने विभाग में जारी कमीशनखोरी को प्रमाणित करने के लिए कई तरह के दस्तावेज पेश किये हैं. इसमें आप्त सचिव के पास से बरामद एक्सेल शीट भी शामिल है. इस शीट पर विभाग द्वारा संचालित की जानेवाली योजनाओं का नाम, लागत, कुल कमीशन और कमीशन में हिस्सेदारी का उल्लेख है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जहांगीर के घर से बरामद रुपये विकास योजनाओं से बतौर कमीशन वसूली गयी थी.रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े अफसरों के लिए कमीशन की दर 0.75 से 1.50 प्रतिशत तक निर्धारित थी. इडी ने कमीशन की रकम से लाउंड्रिंग के सहारे अचल संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है. जहांगीर को मंत्री के आप्त सचिव का करीबी बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक की जांच के दौरान अभियुक्तों की कुछ संपत्ति को चिह्नित किया गया है. साथ ही और संपत्ति का पता लगाया जा रहा है.

संजीव लाल व जहांगीर की चार करोड़ की संपत्ति जब्त :

प्रवर्तन निदेशालय ने आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल और सहायक जहांगीर की कुल चार करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है. इडी ने संपत्ति जब्त करने से संबंधित आदेश जारी कर दिया है. जब्त की गयी संपत्ति में संजीव लाल और जहांगीर का फ्लैट शामिल है. इडी ने जांच में पाया कि संजीव लाल और जहांगीर के नाम पर खरीदी गयी संपत्ति का आर्थिक स्रोत वैध नहीं है. फ्लैटों की खरीदने में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित विकास योजनाओं में वसूली गयी कमीशन की राशि का इस्तेमाल किया गया है.

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