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आरडीडी हेल्थ ने सदर अस्पताल सहित एसएनसीयू में उपलब्ध चिकित्सकीय इंतजामों का किया निरीक्षण

एनआरसी, एसएनसीयू सेवाओं की बेहतरी व सुविधा संपन्न बनाने को लेकर दिया जरूरी निर्देश

किशनगंज.सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाके के लोगों को सभी जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उपलब्ध कराना सूबे में

एनआरसी, एसएनसीयू सेवाओं की बेहतरी व सुविधा संपन्न बनाने को लेकर दिया जरूरी निर्देश

किशनगंज.सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाके के लोगों को सभी जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उपलब्ध कराना सूबे में स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकताओं में शुमार है. लिहाजा जिले में स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने को लेकर सोमवार को जिले के सदर अस्पताल का आरडीडी डॉ सरवन कुमार के द्वारा सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा का निरीक्षण किया गया. उक्त निरीक्षण के क्रम में उन्होंने कहा कि सूबे के सभी जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरूरी पहल की जा रही है. निरीक्षण के क्रम में सदर अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सकीय सुविधाएं, स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों की प्रतिनियुक्ति, भवन, रोगियों के बैठने का इंतजाम, स्वच्छ पेयजल, शौचालय की उपलब्धता सहित उपलब्ध अन्य सुविधाओं का निरिक्षण किया गया. ताकि कमियों का पता लगा कर इसमें अपेक्षित सुधार को लेकर विभागीय स्तर से जरूरी कार्रवाई सुनिश्चित करायी जा सके. एसएनसीयू, जहां बच्चों को रखा जाता है, उनके माता अथवा अभिभावक के रहने वाले स्थान का निरीक्षण किया गया, जहा कमी पाई गयी उसे सुधार करने का निर्देश दिया गया.वही उन्होंने बताया की प्रारंभिक अवस्था में गंभीर रोगों का पता लगाने, उपचार सुनिश्चित कराने, मातृ-शिशु स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की मजबूती सहित विभिन्न एनसीडी रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिहाज से जरूरी है.

शिशु के आहार के साथ उसकी साफ सफाई भी रखना महत्वपूर्ण है

आरडीडी डॉ सरवन कुमार ने एनआरसी के निरीक्षण क्रम में बताया कुपोषित बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है. इसकी वजह से वे अधिक बीमार होते हैं. विटामिन ए, सी, डी, ई और प्रोटीन रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं. शिशु के आहार के साथ उसकी साफ सफाई भी रखना महत्वपूर्ण है. शिशु की साफ सफाई करते रहें. उन्हें गंदगी में जाने या गंदी चीजों को छूने से बचायें. अन्यथा ये डायरिया का कारण बनते हैं.

जरूरतमंद नवजात तक पहुंचायें सुविधाओं का लाभ

विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई के निरीक्षण क्रम में आरडीडी डॉ सरवन कुमार ने बताया कि नवजात के जन्म के बाद पहले 28 दिन उसके जीवन व विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है. बचपन के किसी अन्य अवधि की तुलना में नवजात के मृत्यु की संभावना इस दौरान अधिक होती है. इसलिये कहा जाता है कि नवजात के जीवन का पहला महीना आजीवन उसके स्वास्थ्य व विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है. शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने एवं लगातार छः महीने तक नवजात शिशुओं के बेहतर देखभाल, एसएनसीयू सेवाओं का लाभ अधिक से अधिक जरूरतमंद नवजात को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. उन्होंने जरूरी इलाज के लिये एसएनसीयू में बच्चों के निबंधन की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया. एसएनसीयू में सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता, निर्धारित रोस्टर के मुताबिक चिकित्सक व स्टॉफ की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया. उन्होंने सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू , एनआरसी , सदर अस्पताल के लेबर रूम एवं ओटी में वेस्ट मैनेजमेंट के बेहतर इंतजाम सुनिश्चित कराते हुए किसी तरह के संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर सभी जरूरी इंतजाम सुनिश्चित कराने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया. उन्होंने सदर अस्पताल के एसएनसीयू, एनआरसी, लेबर रूम एवं ओटी का औचक निरीक्षण किया. इस क्रम में उन्होंने संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों को एसएनसीयू में उपलब्ध चिकित्सकीय इंतजामों की बेहतरी के लिये कई जरूरी निर्देश दिये. मौके पर सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार , डीपीएम डॉ मुनाजिम , सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन , एसएनसीयू के चिकित्सक , वार्ड इंचार्ज सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मी मौजूद थे.

सेवाओं की बेहतरी का प्रयास निरंतर जारी

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा निर्देश में एसएनसीयू सेवाओं की बेहतरी के लिये निरंतर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं. पूर्व की तुलना में एसएनसीयू सेवाओं को अधिक प्रभावी व सुविधाजनक बनाया गया है. इस कारण इलाज के लिये एसएनसीयू में दाखिल होने वाले बच्चों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. इसे और बेहतर बनाने का प्रयास जारी है. निरीक्षण के क्रम में आरडीडी सर के माध्यम से जो जरूरी दिशा निर्देश प्राप्त हुए हैं उसका प्रभावी क्रियान्वयन बहुत जल्द सुनिश्चित कराया जायेगा.

जिले में 156 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं संचालित

आरडीडी डॉ सरवन कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के लिये हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का सफल संचालन जरूरी है. जिले में फिलहाल 156 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर संचालित हैं. वेलनेस संटरों पर चिकित्सा अधिकारी व स्टाफ नर्स की उपलब्धता, सेंटर अपने निजी भवन में संचालित है या नहीं, स्वच्छ पेयजल, शौचालय, मरीज व उनके परिजनों के लिये बैठने के इंतजाम, संस्थागत व आधारभूत संरचना के स्तर पर कमियों का पता लगाना व विभागीय स्तर से इसे दूर करने के लिये जरूरी पहल सुनिश्चित कराना इसका मुख्य उद्देश्य है.

रोग प्रबंधन व समय पर उपचार हुआ है आसान

डॉ सरवन कुमार ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से ओपीडी सेवा, एनसीडी स्क्रीनिंग, टेलीमेडिसिन, एएनसी जांच, परिवार नियोजन संबंधी सेवा व परामर्श सेवाओं का लाभ मुहैया कराया जा रहा है. वेलनेस सेंटरों पर प्रत्येक सप्ताह आयोजित होने वाला विशेष स्वास्थ्य मेला स्थानीय ग्रामीणों के लिये विशेष रूप से लाभकारी साबित हो रहा है. साथ ही विभिन्न संक्रामक व गैर संक्रामक रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करने में भी वेलनेस सेंटर की भूमिका अहम साबित हो रही है. लिहाजा इसके सुदृढीकरण को लेकर विभागीय स्तर से जरूरी प्रयास किया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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