अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह में पड रही गर्मी ने तोड़ा पिछले पांच वर्षों का रिकॉर्ड तेज पछिया हवा ने बढाई परेशानी प्रतिनिधि, सहरसा पिछले लगभग एक महीने से धीरे-धीरे गर्मी अपने चरम पर पहुंच गयी है. जिससे आम आदमी गर्मी से बेहाल है. इस पर बिजली की लगातार आंख मिचौनी से लोग रतजगा करने को विवश हैं. तालाब, पोखर सूखने के कगार पर हैं, मवेशियों तक को परेशानी हो रही है. पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष सबसे अधिक गर्मी पड़ रही है. जबकि अगले तीन दिनों तक लू चलने एवं गर्मी बढने की संभावना जतायी गयी है. इस वर्ष अप्रैल महीने के शुरुआती दिनों में ही गर्मी रिकार्ड तोड रही है. तुलनात्मक विश्लेषण में यह साफ हो रहा है कि पिछले दो वर्षों में इस वर्ष अप्रैल महीने में ही गर्मी उफान पर है. जबकि पिछले वर्ष इस दौरान वर्षा भी हुई थी. लेकिन इस वर्ष वर्षा भी नदारद है. साथ ही मौसम विभाग ने वर्षा की संभावना तक व्यक्त नहीं की है. बढती गर्मी से लोगों की जान पर बन आयी है. लोगों के बीमार होने की संख्या में तेजी आ गयी है. बच्चे से लेकर युवा, बूढे सभी परेशानी झेल रहे हैं. बुजूर्गों की माने तो आज तक अप्रैल महीने में इतनी भीषण गर्मी व लू शायद ही कभी चली हो. हालत यह बन गया है कि तेज धूप, लू एवं तेज पछिया हवा से कहीं भी राहत नहीं मिल रही है. इस वर्ष तापमान में रोज हो रही बढोतरीः अप्रैल महीने के शुरुआत से ही भीषण गर्मी शायद ही यहां के लोगों ने सोचा होगा. एकाएक बढती गर्मी से लोग परेशान हो उठे हैं. राह चलना अभी ही काफी कठिन हो गया है. जबकि मई, जून व जुलाई बाकी है. मौसम विज्ञान केंद्र भी अभी राहत मिलने की संभावना नहीं जता रहा है. अगवानपुर कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक जितेंद्र कुमार ने बताया कि शुक्रवार को पारा 40 डिग्री के पार चला गया है. अमूनन अप्रैल में इतनी गर्मी नहीं पड़ती है. उन्होंने बताया कि वर्षा की संभावना अभी नहीं है. साथ ही तापमान के बढोत्तरी की संभावना जतायी गयी है. अगले 28 अप्रैल तक तापमान में वृद्धि के साथ तेज पछिया हवा चलने की संभावना है. ऐसे में गर्मी से अभी लोगों को राहत नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्ष की अपेक्षा गर्मी ने इस वर्ष अपने पुराना सभी रिकॉर्ड तोड़ दिया है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में 36.6, वर्ष 2022 में 35.9, वर्ष 2021 में 36.1, वर्ष 2020 में 35.1 एवं वर्ष 2019 में 36.5 डिग्री सेल्सियस अप्रैल के अंतिम सप्ताह में रिकॉर्ड किया गया था. सूखे ताल तलैया से बढी परेशानीःः जिले में हो रही अत्यधिक गर्मी से पोखर व तालाबों की कौन कहे बारह महीनों पानी रहने वाली नदी तक सूखने लगी है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाले इस जिले में पशुपालन एवं कृषि आम लोगों की जीविका का मुख्य आधार है. ताल तलैया एवं नदियां पशुओं के जीवन रक्षक होते हैं. ऐसे में इस भीषण गर्मी में इनके सूखने से पशुपालकों को अपने पशुओं की रक्षा करना कठिन हो रहा है. अत्यधिक गर्मी से जहां चारे का अभाव हो रहा है. वहीं ताल तलैया में पानी नहीं रहने से पशुओं के जीवन पर संकट मंडराने लगा है.
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