बाद में मरने वालों के परिजनों को तो मिल गयी मुआवजा राशि, लेकिन पहले मरने वाले के परिजन आज भी लगा रहे कार्यालय के चक्कर
ठाकुरगंज.ठाकुरगंज प्रखंड में बीते एक वर्ष में नदियों और तालाबों में डूबने से कई लोगों की जान चली गई लेकिन सिस्टम की लापरवाही ऐसी है कि डूबने वालों में कुछ
ठाकुरगंज.ठाकुरगंज प्रखंड में बीते एक वर्ष में नदियों और तालाबों में डूबने से कई लोगों की जान चली गई लेकिन सिस्टम की लापरवाही ऐसी है कि डूबने वालों में कुछ को तो मुआवजा मिला लेकिन कुछ के परिजन मुआवजा राशि के लिए आज भी भटक रहे हैं,और तो और इस मामले में सबसे जो पहले मरे उनके परिजनों को तो मुआवजा नहीं मिला लेकिन बाद में मरने वालों के परिजनों को मुआवजा दे दिया गया. इसके लिए काफी हद तक अधिकारियों का सुस्त रवैया भी जिम्मेवार है. बात हम ठाकुरगंज भातडाला पोखर में डूबकर मरे दाल सिंह कर्मकार की कर रहे है जिसकी मौत 22 जुलाई को भातडाला पोखर में डूबने से हो गई थी लेकिन उनके परिजनों को दो माह बाद भी मुआवजा नहीं मिला. वही एक तथ्य यह भी है की इन घटना के बाद डूबने की घटना में 3 बच्चों की मौत के दो दिनों बाद ही उनके परिजनों को मुआवजा दे दिया गया. बताते चले 4 अगस्त को तालाब में डूबने से तीन बच्चों की मौत के दो दिनों के बाद ही परिजनों को प्रत्येक मृतक बच्चे पर 4 लाख का मुआवजा दे दिया गया था. चुरली पंचायत के हाजीबस्ती निवासी फ़ातेमा खातून. सगुफ्ता बेगम और हुसैन आरा की मौत तालाब में डूबने से 4 अगस्त को हुई थी जिनके परिजनों को 6 अगस्त को मुआवजा का चेक दे दिया गया. अब सवाल उठता है मुआवजा देने में यह भेदभाव या देरी क्यों ? पोस्टमार्टम रिपोर्ट है अहम प्राकृतिक आपदाओं में मौत पर मिलने वाली राशि के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट जरूरी है. अधिकांश मामलों में बिना पोस्टमार्टम कराये अंतिम संस्कार कर दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं होने की वजह से आश्रितों को मुआवजा नहीं मिल पाता है. प्राकृतिक आपदाओं में मृत्यु होने पर आश्रित मुआवजा राशि के लिए अपने अंचल कार्यालय में आवेदन के साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति संलग्न होनी चाहिए. सीओ की सत्यापन रिपोर्ट अपर समाहर्ता व जिलाधिकारी के पास पहुंचती है. स्वीकृति मिलते ही राज्य सरकार के राज्य आपदा मोचन निधि से 04 लाख रुपए मुआवजा का भुगतान किए जाने का प्रावधान है. क्या कहते है अधिकारी इस मामले में अंचलाधिकारी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मृतक दल सिंह कर्मकार की फाइल जिला भेज दी गयी है. वहां से स्वीकृति के बाद ही मुआवजा मिल पायेगा. हालांकि उन्होंने इस बात से कन्नी काट ली की दलसिंह कर्मकार की मृत्यु के बाद हुई घटनाओं पर मुआवजा पहले कैसे मिल गया. उन्होंने कहा कि मुआवजे के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट जरुरी होती है.
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