खूंटी. आर्ट ऑफ लिविंग के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के तृतीय दिन शनिवार को स्वामी दिव्यानंद गिरि ने प्रवचन दिया. कहा कि जीवन में एक लक्ष्य को लेकर चलते रहने से वह पूरा होता है. हमने देखा कि भागवत में ध्रुव पांच साल की छोटी-सी उम्र में आत्मज्ञान प्राप्त करने के लक्ष्य को लेकर चल पड़े थे. उन्होंने स्वयं से पूछा मैं कौन हूं? उन्होंने जाना कि शरीर तो नश्वर है, मगर जो चैतन्य रहता है, उसकी अनुभूति उन्होंने प्राप्त कर ली. उन्होंने कहा कि माता-पिता अपने अपने बच्चों की प्रतिभा पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करें. बच्चों के मन में भी जिम्मेदारी का भाव रहना चाहिए. शिक्षकों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए. इस अवसर पर झांकी भी निकाली गयी. वहीं आर्ट ऑफ लिविंग की टीचर कल्याणी शहदेव ने ध्यान कराया. कार्यक्रम में यजमान मनोरमा भगत आशुतोष भगत, पुष्पा तिवारी, सिंधु भगत, कैलाश भगत, अनीता लाल, जददू लाल, संगीता राय, नंद राय, प्रमिला भगत, राजेंद्र भगत सहित अन्य उपस्थित थे.
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