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Bokaro News :परम पुरुष की कृपा से असंभव काम भी संभव : आचार्य विकासानंद अवधूत

Bokaro News : नव वर्ष के अवसर पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से तीन दिवसीय (29, 30 व 31 दिसंबर) धर्म महा सम्मेलन का आनंदनगर-पुरुलिया में रविवार से

Bokaro News : नव वर्ष के अवसर पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से तीन दिवसीय (29, 30 व 31 दिसंबर) धर्म महा सम्मेलन का आनंदनगर-पुरुलिया में रविवार से शुरू हो गया. कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात संगीत, कीर्तन व आध्यात्मिक साधना के साथ हुई. मार्ग गुरु प्रतिनिधि आचार्य विकासानंद अवधूत ने श्री श्री आनंदमूर्तिजी के दर्शन पर बोलते हुए कहा : शक्ति देने वाला परम पुरुष है. उसकी कृपा से असंभव काम भी संभव हो जाता है. स्थायी ज्ञान और ऊर्जा का स्रोत कोई स्थायी सत्ता ही हो सकती है.

आचार्य विकासानंद अवधूत ने कहा : कुछ लोग रसगुल्ले खाकर संतोष प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. लेकिन जैसे ही वह गले से नीचे उतरता है, स्वाद जल्दी ही समाप्त हो जाता है. इसलिए खुशी, ताकत या बुद्धिमत्ता का स्रोत कोई असीमित सत्ता ही होना चाहिए. एक बुद्धिमान व्यक्ति स्वाभाविक रूप से उस अनंत स्रोत पर निर्भर करेगा, जो कभी समाप्त नहीं होता. जिससे लोग स्थायी ताकत, बुद्धि व साहस प्राप्त कर सकते हैं. जब आप परम पुरुष का ध्यान करेंगे, तो आपको सब कुछ मिल सकता है.

खाली हाथ आये हैं और खाली हाथ जायेंगे :

आचार्य विकासानंद अवधूत ने कहा : आपको अपना ध्यान केंद्रित करना होगा. इस ब्रह्मांड की कोई भी वस्तु आपकी नहीं हो सकती. आप इस पृथ्वी पर बिना किसी संपत्ति के आये थे और बिना किसी संपत्ति के जायेंगे, तो फिर कोई वस्तु आपकी कैसे हो सकती है? यह सच्चा ज्ञान है. इस ब्रह्मांड में केवल एक ही वस्तु है जिसे आप अपनी कह सकते हैं और वह है परम पुरुष. यदि इस विचार को विकसित नहीं किया जाता, तो मनुष्य निष्क्रिय हो जायेंगे और कार्य से विमुख हो जायेंगे. सोचने का मतलब है मन में बोलना.

ब्रह्मांड में केवल एक ही सत्ता है :

आचार्य विकासानंद अवधूत ने कहा : जो प्रेम आप इस सांसारिक सृष्टि के प्रति विकसित करते हैं, वह हमेशा परम पुरुष से जुड़ा होना चाहिए. वह, जो बाहरी उद्देश्यपूर्ण संसार के मालिक हैं, आपके लिए एकमात्र वस्तु है, जिसे आप अपने रूप में स्वीकृति दे सकते हैं. जब आप इसे समझेंगे, तो बाहरी संसार के साथ समायोजन स्वाभाविक और सहज रूप से हो जायेगा. सभी मनुष्यों को यह विचार अपने मन में रखना चाहिए कि इस ब्रह्मांड में केवल एक ही सत्ता है, जिसे वे अपनी कह सकते हैं और वह है परम पुरुष.

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