Education News : नागपुरी को गंवारी भाषा समझा जाता था : डॉ सविता केसरी
रांची (विशेष संवाददाता). रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय (टीआरएल) के नागपुरी विभाग में गुरुवार को प्रो केदार नाथ दास द्वारा लिखित नागपुरी काव्य संग्रह पलाश कर
रांची (विशेष संवाददाता). रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय (टीआरएल) के नागपुरी विभाग में गुरुवार को प्रो केदार नाथ दास द्वारा लिखित नागपुरी काव्य संग्रह पलाश कर फूल का लोकार्पण सह कृति चर्चा का आयोजन किया गया. विभागाध्यक्ष डॉ सविता केसरी ने कहा कि साहित्य समाज का आईना होता है. डॉ केसरी ने कहा कि एक समय था जब नागपुरी भाषा में पुस्तकों की कमी थी. इस भाषा को कोई महत्व नहीं दिया जाता था. इस कारण नागपुरी को गंवारी भाषा कहा जाता था. कालांतर में इस भाषा में कई पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन के साथ-साथ स्थानीय समाचार पत्रों एवं आकाशवाणी-दूरदर्शन में प्रमुखता से स्थान दिया जाने लगा. पीजी उर्दू विभाग के अध्यक्ष डॉ रिजवान अली ने कहा कि हमारे हृदय को छू जाये वही कविता है. अपनी माटी की गंध हरेक व्यक्ति के मन को आकर्षित करता है. नागपुरी एक संपर्क भाषा है. मेजर महेश्वर सारंगी ने कहा कि नागपुरी में गीत लिखने की परंपरा थी, लेकिन अब जोर-शोर से कविता लिखने की शुरूआत हुई है. यह अच्छा संकेत है. लेखक प्रो केदार नाथ दास ने कहा कि उनकी कविता संग्रह में अपने जीवन की तमाम अनुभवों को समाज के सामने साहित्य के रुप में रखने का प्रयास किया है. किसी व्यक्ति अथवा समाज को खत्म करना है, तो उसकी भाषा संस्कृति को खत्म कर दें. अशोक कुमार ने कविता प्रस्तुत किया. डॉ उमेश नंद तिवारी ने विषय प्रवेश किया. जबकि संचालन डॉ वीरेंद्र कुमार महतो ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ रीझू नायक ने किया. इस अवसर पर बंधु भगत, मनय मुंडा, डॉ गीता कुमारी सिंह, डॉ कुमारी शशि, डॉ अर्चना कुमारी, महामनी कुमारी, डॉ अनुपमा मिश्रा, डॉ दिनेश कुमार, डॉ सरस्वती गागराई, डॉ बंदे खलखो, अनुराधा मुंडू, डॉ करम सिंह मुंडा, डॉ नकुल कुमार, रवि कुमार आदि उपस्थित थे.
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