गुरु का तात्पर्य उस महापुरुष से है, जो दूसरों के जीवन से अंधकार को दूर करें : स्वामी निरंजनानंद
प्रतिनिधि, मुंगेर. स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि आज का दिन ब्रह्मविद्या गुरुओं को समर्पित है. गुरु का तात्पर्य उस महापुरुष से है जिसके भीतर दिव्य ज्योति प्रज्वलित है और
प्रतिनिधि, मुंगेर. स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि आज का दिन ब्रह्मविद्या गुरुओं को समर्पित है. गुरु का तात्पर्य उस महापुरुष से है जिसके भीतर दिव्य ज्योति प्रज्वलित है और जो दूसरों के जीवन से अंधकार को दूर करता है. वे रविवार को पादुका दर्शन संन्यास पीठ पर गुरु पुर्णिमा महोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. पादुका दर्शन सन्यास पीठ में रविवार को गुरु पूर्णिमा महोत्सव बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया गया. वाराणसी से आये आचार्यो के मंत्र पाठ के साथ स्वामी निरंजनानंद ने गुरु पादुका अभिषेक और पूजन संपन्न किया. साथ ही आदि गुरु भगवान शिव की आराधना कर रूद्राभिषेक किया. पादुका पूजन के पश्चात हवन संपन्न किया गया. स्वामी निरंजनानंद ने कहा कि ब्रह्मविद्या गुरुओं की परंपरा का प्रारंभ ब्रह्मा, विष्णु और महेश से हुआ है. उसके पश्चात शंकराचार्य जैसे महान गुरु हुए और हमारे परमगुरु स्वामी शिवानंद और गुरुदेव स्वामी सत्यानंद इसी ब्रह्मविद्या परंपरा से आते है. वास्तविक गुरु वही है जो कलुषता और स्वाथ से सर्वथा मुक्त रहता है और ब्रह्मविद्या गुरु इसके ज्वलंत उदाहरण हैं. जिनका हमेशा एक ही प्रयोजन रहा है लोक कल्याण और उत्थान का. उन्होंने कहा कि गुरु और ईश्वर के साथ जुड़ने के लिए स्वयं को शुद्ध करते हुए उनकी शिक्षाओं को, उनके द्वारा वर्णित सद्गुणों को अपनाना है. हमें अपने गुरुओं का अनुसरण एक भोले बच्चे के समान करना चाहिए. गुरु की शक्ति, अनुग्रह और कृपादृष्टि हमेशा हमारे साथ रहती है. अपने हृदय में गुरु को स्थापित करने पर सदैव सफलता प्राप्त होती है. हृदय की सरलता, सहजता और शुद्धता से ही ईश्वर का साक्षात्कार हो पाता है. भक्ति मन से नहीं हृदय से सिद्ध होती है. उन्होंने स्वामी शिवानंद की कालजयी शिक्षा अच्छे बनो, अच्छा करो का उद्घोष करते हुए इस गुरु पूर्णिमा का मुख्य संदेश घोषित किया. उन्होंने कहा कि इस शिक्षा को अपने जीवन में यथासंभव आत्मसात और अभिव्यक्त करना ही स्वामी शिवानंद के संन्यास जयंती वर्ष में उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. बताया गया कि गुरु पूर्णिमा के अगले दिन 22 जुलाई सोमवार से चातुर्मास अनुष्ठान प्रारंभ होगा. जिसके तहत सुबह में योग कक्षा, दोपहर में रामचरितमानस का मास पारायण एवं श्रावणी मंत्र साधना और शाम में में स्वामी निरंजनानंद का सत्संग होगा.
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