खूंटी. आर्ट ऑफ लिविंग परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में शुक्रवार को स्वामी दिव्यानंद गिरी जी ने गुरु महिमा का बखान किया. कहा कि जीवन में जब गुरु का आगमन होता है तो भय से मुक्ति मिल जाती है. जब राजा परीक्षित के जीवन में गुरु नहीं थे, तब तक उन्हें मृत्यु का भय था. गुरु के मिलते ही उनका अपने गुरु से प्रश्न था कि मुझे मुक्ति कैसे मिलेगी. पूरे सप्ताह में सात वार हैं. परीक्षित जी को श्राप मिला है. मृत्यु सात दिनों में होगी. ये सात वार सबके जीवन में है. आठवां वार किसी के जीवन में नहीं है. गुरु के मिलते ही परीक्षित जीवन के हर दुख तकलीफ भूल जाते हैं. गुरु की महिमा अपरंपार है. गुरु के सामने अपनी बड़ाई नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपनी कमियों को उजागर करना चाहिए. गुरु के मिलते ही वो स्वयं भी समस्याओं को भूल जाते हैं. ये है गुरु की कृपा. स्वामी दिव्यानंद गिरी ने बताया कि योग, प्राणायाम, जाप जीवन में जरूरी है. इनसे ही हमारे जीवन में संकल्प शक्ति दृढ़ होती है. जीवन में एक गुरु का होना अति आवश्यक है. कथा में ऋषि कपिल और देहुति माता और ध्रुव और विष्णु भगवान की झांकी निकाली गयी. कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे. आयोजन को सफल बनाने में आर्ट ऑफ लिविंग के सदस्य सहित अन्य लोग जुटे हुए हैं.
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