हथरवा तालाब की खुदाई में मिला 19 सौ वर्ष पूर्व का दीवारनुमा पुरातात्विक अवशेष
अमरपुर.प्रखंड क्षेत्र के भदरिया पंचायत के सुल्तानपुर मौजा के हथरवा तालाब की खुदाई के दौरान गुरुवार की शाम में करीब दस फीट गहराई में पुरानी दीवार के पुरातात्विक अवशेष मिले
अमरपुर.प्रखंड क्षेत्र के भदरिया पंचायत के सुल्तानपुर मौजा के हथरवा तालाब की खुदाई के दौरान गुरुवार की शाम में करीब दस फीट गहराई में पुरानी दीवार के पुरातात्विक अवशेष मिले हैं. इस दीवार में लगी ईंट तथा वहां मिली मिट्टी एवं दीवार को भदरिया चांदन नदी में मिले पुरातात्विक अवशेष के तरह ही दिखाई दे रहा है. तालाब में दीवार मिलने की सूचना ग्रामीणों को मिलते ही बड़ी संख्या में लोग शाम में ही वहां पहुंच गये. ग्रामीणों ने बताया कि ईंट के दीवार पर बनी नक्काशी व लकड़ी के चौड़े चौखट को देख लोगों ने तालाब खुदाई के काम को फिलहाल रोकने का आग्रह किया. ग्रामीणों की मांग पर उस समय तो काम को रोक दिया गया. ग्रामीणों ने आगे बताया कि रात होते ही तालाब में जेसीबी चलाकर पुरातात्विक अवशेषों को तोड़कर उसे तालाब से बाहर फेंक दिया गया. शुक्रवार की सुबह इसकी जानकारी मिलते ही ग्रामीण वहां पहुंचे और अवशेष नहीं देख कई तरह की चर्चा होने लगी. ग्रामीण राकेश रंजन, तबरेज, मणिकांत मंडल, शेख जमशाद, चिंटू मंडल, गोरेलाल मंडल आदि ने बताया कि तालाब की खुदाई के दौरान करीब 20 फीट चौड़ी दीवार व नक्काशी की हुई लकड़ी के चौखट मिले थे. लेकिन तालाब खुदाई के नाम पर इस पुरातात्विक अवशेष को नष्ट कर दिया गया. इधर ईंट के आकार को देख पुरातत्व के जानकार तथा कैमूर के सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी सतीश कुमार ने बताया कि तालाब में मिले ईंट करीब 19 सौ वर्ष पुरानी प्रतीत होती है तथा दीवार की स्थिति बता रही है कि यह पालकालीन स्नानघर हो सकता है. मालूम हो कि 2020 में छठ पर्व के लिए घाट की सफाई के दौरान भदरिया चांदन नदी में पुरातात्विक अवशेष मिले थे. जिसकी जांच पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने किया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी भदरिया का दो बार दौरा किया तथा नदी की धारा मोड़ कर पुरातात्विक स्थल की खुदाई का काम शुरू किया गया है. अब इसी पंचायत के सुल्तानपुर मौजा में तालाब के जीर्णोद्धार में मिले पुरातात्विक अवशेष को लोग भदरिया से जोड़ कर देख रहे हैं. इधर पुरातात्विक अवशेष मिलने की सूचना पर लघु जल संसाधन विभाग की एसडीओ शिल्पा सोनी उक्त तालाब पर पहुंचकर मामले की जांच की. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में तालाब में स्नान करने के लिए घाट बनाये जाते थे. संभावना है कि यह उसी घाट का अवशेष हो. उन्होंने तालाब की खुदाई में लगे मजदूरों को प्राक्कलन के अनुरूप कार्य करने का निर्देश दिया.
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