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झारखंड में 444 बड़े घाट, पर लोग बालू के लिए बिहार पर आश्रित

झारखंड में छोटे-बड़े 444 बड़े बालू घाट हैं. पर विडंबना है कि यहां के लोगों को बालू के लिए अब बिहार पर निर्भर रहना पड़ रहा है. घर बनाना हो

झारखंड में छोटे-बड़े 444 बड़े बालू घाट हैं. पर विडंबना है कि यहां के लोगों को बालू के लिए अब बिहार पर निर्भर रहना पड़ रहा है. घर बनाना हो या अन्य कोई निर्माण कार्य करना, अब उन्हें झारखंड से नहीं बल्कि बिहार से बालू मंगाना पड़ रहा है. बालू कारोबारियों की मानें तो रांची में प्रतिदिन 90 से 100 हाइवा व टेलर गाड़ी बालू बिहार के नवादा व गया से आ रहा है. चूंकि वहां बालू घाटों की बंदोबस्ती हो चुकी है. इस कारण वैध चालान से बालू आसानी से रांची लाया जा रहा है. रांची में बालू कारोबारी इसे 40 से 45 हजार रुपये प्रति हाइवा बेच रहे हैं. एक महीने पहले तक यह कीमत 30 से 35 हजार रुपये प्रति हाइवा थी. गर्मी बढ़ने के साथ ही बालू की कीमत भी बढ़ा दी गयी है.

रांची में 19 घाट पर, सिया की मंजूरी का है इंतजार :

रांची में 19 बालू घाटों में से 18 बालों घाटों के लिए टेंडर कर माइंस डेवलपर ऑपरेटर की नियुक्ति कर ली गयी है. पर ये बालू अभी घाटों से उठा नहीं सकते. हालांकि इन्हें लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआइ) दे दिया गया है. पर पर्यावरण स्वीकृति (इसी) की वजह से बालू घाटों से बालू की निकासी नहीं हो पा रही है. इस कारण ब्लैक में बालू बिक रहे हैं. बालू घाटों के टेंडर के बाद माइनिंग प्लान, इनवायरमेंटल क्लीयरेंस (इसी) तथा कंसेट टू ऑपरेट लेना पड़ता है. इसी के लिए स्टेट इनवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) के पास आवेदन देना होता है. फिर सिया की टीम इसकी समीक्षा कर मंजूरी देती है. पर नवंबर माह से ही राज्य में सिया कार्यरत नहीं था. पिछले दिनों इसका गठन किया गया. पर अभी तक सिया की बैठक नहीं हो सकी है. जिस कारण बालू घाटों को इसी नहीं मिल पा रहा है. इस प्रक्रिया में दो से तीन माह लगेगा. इसी बीच 10 जून से 15 अक्तूबर तक एनजीटी की रोक लग जायेगी. तब बालू घाटों से बालू की निकासी नहीं की जा सकती.

रांची में 19 स्टॉकिस्ट को लाइसेंस दिया गया :

रांची जिला खनन पदाधिकारी मो अबु हुसैन ने कहा कि यह सही है कि 10 जून से एनजीटी की रोक लग जायेगी. हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्टॉकिस्ट का लाइसेंस दे रहे हैं. वे झारखंड में संचालित 23 बालू घाटों अथवा बिहार, बंगाल से भी वैध रूप से बालू मंगाकर स्टॉक कर सकते हैं, जिसे बाद में वे बेच सकते हैं. जो भी स्टॉकिस्ट का लाइसेंस लेना चाहते हैं, वे सामान्य प्रक्रिया पूरी कर इसे हासिल कर सकते हैं.

सुविधा शुल्क के जरिये हो रहा है अवैध कारोबार :

बालू भले ही बिहार से मंगाया जा रहा है, पर मांग के अनुरूप बालू नहीं मिल पाता. इस कारण आसपास के बालू घाटों से अवैध रूप से बालू शहर में लाया जा रहा है. बालू कारोबारी ने बताया कि प्रत्येक थाना में सुविधा शुल्क देते हैं, तब बमुश्किल बालू शहर में ला पाते हैं. बिहार से वैध चालान होने के बावजूद थाने-थाने में में 500 से 1000 रुपये देते हैं, तब बालू रांची तक ला पाते हैं. रांची में यदि वैध रूप से बालू घाट संचालित होने लगे, तो यह समस्या नहीं रहेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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