झिलिया की बाढ़ ने कुमारधुबी में कहर, सैकड़ों घरों में घुसा पानी

एक दर्जन से अधिक परिवारों ने दूसरे जगह ली शरण नदी का निचला इलाका हुआ जलमग्न पिछले दो दिनों से हो रही झमाझम बारिश से कोयलांचल में जन जीवन

By Prabhat Khabar News Desk | August 3, 2024 1:55 AM

एक दर्जन से अधिक परिवारों ने दूसरे जगह ली शरण नदी का निचला इलाका हुआ जलमग्न पिछले दो दिनों से हो रही झमाझम बारिश से कोयलांचल में जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. झिलिया नदी की बाढ़ ने कुमारधुबी में मैथन मोड़ से लेकर बगानधौड़ा तक निचले इलाकों में कहर बरपाया है. 250 से अधिक घरों में नदी का पानी घुसा गया. एक दर्जन से अधिक परिवारों ने अपने घरों को छोड़ दूसरे जगह शरण ली है. इसके अलावा लगातार बारिश से कई जगह भारी जल जमाव तथा कॉलोनियों व घरों में पानी प्रवेश करने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. माले नेता के स्कूल में कई परिवारों ने ली शरण मैथन मोड़ शंकर टॉकीज के पास से पुल तक दर्जनों घरों में नदी का पानी घुस गया है. इससे प्रभावित कई परिवारों ने माले नेता नागेंद्र सिंह के भगत सिंह स्कूल में शरण ली है. लोगों के घरों के अलावा खटाल जलमग्न हो गया है. इससे खटाल संचालक व दर्जनों भैंस व गाय परेशान है. यह इलाका ग्रामीण क्षेत्र में शिवलीबाड़ी पूरब व मेढ़ा पंचायत में पड़ता है. नदी के निचले इलाकों में सुबह 10 बजे से घरों में पानी घुसना शुरू हुआ. सूचना पर मुखिया तनवीर आलम, माले नेता नागेंद्र कुमार व स्थानीय युवकों ने पहुंच कर प्रभावित से मिले. कई घरों में चूल्हे नहीं जले. उनलोगों ने घरों से भाग कर अपनी जान बचायी. घरों में रखे राशन व सामान बर्बाद हो गये. मुखिया तनवीर आलम ने बताया कि प्रभावित लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है. एग्यारकुंड बीडीओ को स्थिति से अवगत करा दिया गया है. इधर, चिरकुंडा नप के वार्ड 12, 13, 14, 15 व 16 में दर्जनों घरों में झिलिया का पानी प्रवेश कर दिया. नदी किनारे उड़िया धौड़ा से लेकर बगानधौड़ा, हाड़ीपाड़ा व सुभाषनगर जलमग्न हो गया है. प्रभावित लोगों में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश प्रभावित लोगों में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश है. उनका कहना है कि हर साल झिलिया नदी की बाढ़ से निचले इलाके के सैकड़ों लोग प्रभावित होते हैं. वर्ष 2018 में झिलिया की बाढ़ से नप क्षेत्र के बागानधौड़ा वार्ड 15 के हाड़ीपाड़ा के सौ से अधिक परिवार प्रभावित हुए. इनके घर जलमग्न हो गये थे. बाढ़ का मुख्य कारण बीसीसीएल द्वारा जुनकुदर में नदी को बाधित करना है. 2018 में तत्कालीन नप उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह ने मानवाधिकार आयोग में बीसीसीएल की शिकायत करते हुए प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की थी. दो-ढाई साल तक मामले की सुनवाई चलने के बाद आयोग ने बीसीसीएल को प्रति परिवार को दो लाख 25 हजार की दर से मुआवजा देने का आदेश दिया था. उन्होंने बताया कि लगभग ढाई करोड़ रुपये बीसीसीएल ने दो साल पूर्व धनबाद उपायुक्त के कोषागार में जमा कर दिया था, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा न प्रभावितों को पैसा दिया गया और न ही घर बना कर दिया. बाढ़ से घर क्षतिग्रस्त होने के कारण दर्जनों परिवार निचले इलाके में झोपड़ी बना कर रह रहे हैं. इसमें अधिकतर परिवार दलित वर्ग से आते हैं. एनएच का पानी मंडमन कोलियरी व चोपड़ा कॉलोनी में घुसा एग्यारकुंड, मुगमा क्षेत्र के सड़कों पर भारी जल जमाव व घरों व इसीएल के आवासों में पानी प्रवेश करने से लोग परेशान हैं. निरसा-चिरकुंडा मार्ग पर गलफरबाड़ी ओपी के समीप भारी जल जमाव के कारण दोपहिया व चारपहिया वाहनों व लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ा. इधर, एनएच प्रबंधन द्वारा हाईवे किनारे नाला नहीं बनाने से सड़क का पानी मंडमन कोलियरी व चोपड़ा कॉलोनी के दर्जनों घरों में घुस गया. लोग रातभर परेशान रहे. महिलाएं व बच्चे घर में रखे सामानों को बचाने में लगे रहे. पुरुष घरों से पानी निकालने में परेशान रहे. सुबह इसीएलकर्मियो ने सूचना प्रबंधन को दी. इसके बाद प्रबंधन द्वारा जेसीबी से नाली की सफाई कराने के बाद कॉलोनी का पानी निकाला गया. कापासारा में तालाब टूटने से कॉलोनी में बाढ़ कापासारा गांव स्थित तालाब टूटने से राजेन्द्र बिहार कॉलोनी में बाढ़ की स्थित उत्पन्न हो गयी. कॉलोनी में एनएच का भी पानी प्रवेश कर दिया. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि एनएचएआइ प्रबंधन से शिकायत के बाद नाला व एप्रोच रोड का अधूरा काम पूरा नहीं किया गया, जिससे कॉलोनी में पानी घुस गया. एप्रोच रोड व अंडरपास में जल जमाव, आवागमन बंद मुगमा व मैथन चौक स्थित एनएच का निर्माणाधीन अंडरपास में भारी जल जमाव हो गया. मुगमा में अधूरे एप्रोच रोड पर पानी भर गया. इससे दोपहिया वाहनों व राहगीरों का आवागमन बंद हो गया है. मैथन में जाने वाली सड़क काफी व्यस्त रोड है, जिस पर मैथन डैम, बीएसके कॉलेज, डी-नोवली, केंद्रीय विद्यालय, जामताड़ा आदि लोग आना-जाना करते हैं. इससे एनएचएआइ के प्रति लोगों में आक्रोश है.

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