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जिले के 500 नये यक्ष्मा मरीजों को सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल रही दवा, भटक रहे मरीज

- बाजार के मेडिकल स्टोर पर भी नहीं मिल रही दवा

कटिहार .टीबी हारेगा देश जीतेगा, सरकार का यह नारा सिर्फ बैनर पोस्टर पर ही सिमट कर रह गया है. इसका

– बाजार के मेडिकल स्टोर पर भी नहीं मिल रही दवा

कटिहार .टीबी हारेगा देश जीतेगा, सरकार का यह नारा सिर्फ बैनर पोस्टर पर ही सिमट कर रह गया है. इसका कारण है कि पिछले एक महीने से जिले के टीबी मरीजों को टीबी की दवाई नहीं मिल पा रही है. यहां तक की बाहर मेडिकल में भी टीबी की दवाई खरीदारी करने के लिए मरीज को भटकना पड़ रहा है. आलम ऐसा है कि पैसे देकर भी बाहर आसानी से दवाई नहीं मिल पा रही है. दरअसल जिले में टीबी ग्रसित मरीजों के लिए फोरएफडीसी थ्रीएफडीसी दवाई समाप्त हो गयी है. सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर जो टीबी ग्रसित मरीज रजिस्टर्ड है. उन्हें ही दवाई मिल पा रही है. इसमें भी कई प्रखंड है. जहां पर फोरएफडीसी दवाई उपलब्ध ही नहीं है. जिस कारण से मरीजों को घोर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा जो निजी क्लीनिक में अपना इलाज करवा रहे हैं. ऐसे मरीजों को तो पिछले एक अप्रैल से ही फोरएफडीसी तथा थ्रीएफडीसी दवाई निर्गत नहीं कराया जा रहा है. ऐसे में सरकार का टीबी हारेगा देश जीतेगा जैसे कथन गलत साबित हो रहे हैं. क्योंकि जिले में टीबी ग्रसित मरीज के लिए दवाई आपूर्ति ही नहीं हो पा रही है. इस संदर्भ में जिला यक्षमा पदाधिकारी डॉ अशरफ रिजवी ने बताया कि पिछले एक अप्रैल से जो बाहरी निजी क्लीनिक में टीबी ग्रसित मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं. ऐसे मरीज को दवाई निर्गत नहीं करायी जा रही है. इससे पहले सरकारी स्वास्थ्य केंद्र हो या निजी प्राइवेट क्लीनिक जहां पर भी टीबी ग्रसित मरीजों का उपचार होता था. उन्हें प्रिपकेशन के आधार पर निकटम सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर आसानी से निशुल्क दवाई उपलब्ध करा दी जाती थी. लेकिन हाल में पिछले एक महीने से जिला में फोरएफडीसी थ्रीएफडीसी दवाई उपलब्ध नहीं है. ऐसे में जो सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी ग्रसित मरीज रजिस्टर्ड है. उन्हें ही दवाई निर्गत कराई जा रही है. जबकि मनिहारी, बारसोई तथा अहमदाबाद स्वास्थ्य केंद्र में दवाई समाप्त हो गई है. अन्य प्रखंड में जहां पर दवाई उपलब्ध है. यहां से वहां भेज कर किसी तरह से मरीज को दवाई निर्गत कर मैनेज किया जा रहा है.

अप्रैल महीने में लगभग 500 टीबी ग्रसित मरीज की हुई पहचान

जिले में अप्रैल महीने में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के अलावा निजी प्राइवेट क्लिनिकों में लगभग 500 टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान हो पायी है. टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान होने के बाद नियमित तौर पर दवाई का सेवन करने से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है. लेकिन अभी दवाई नहीं मिलने से मरीजों की काफी परेशानी बढ़ी हुई है. इसके अलावा जिला यक्ष्मा विभाग के अधिकारी भी काफी परेशान है. इसका कारण है कि जो टीबी ग्रसित मरीज की पहचान हो पाई है. उन्हें नियमित तौर पर दवाई का सेवन करना है. यदि नियमित तौर पर दवाई का सेवन नहीं हो पाया तो ऐसे में मरीज की हालत और बिगड़ेगी और पिछला जितना भी उनका उपचार हो पाया है. उसका कोई फायदा नहीं होगा. अप्रैल मांह की बात करें तो जिले में 500 के लगभग टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान हुई है. जिसे सभी को दवाई का सेवन करना है. सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर दवाई उपलब्ध नहीं होने से मरीज बाहर मेडिकल में दवाई खरीदारी करने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन वहां पर भी उन्हें दवाई नहीं मिल पा पड़ी है. ऐसा इसलिए क्योंकि टीबी से बचाव को लेकर जो दवाई बिक्री होती है. उसके लिए मेडिकल वालों को कई नियमों का पालन करना पड़ता है. मरीजों को सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर सभी प्रकार के दवाई निशुल्क उपलब्ध होने के कारण इस तरह की दवाई मेडिकल वाले रखने में रुचि नहीं रखते है. एक तो नियमों का पालन करना ऊपर से दवाई की बिक्री नहीं होना और एक्सपायरी का अलग से झंझट इस कारण से बाहर प्राइवेट मेडिकल में भी टीबी ग्रसित रिलेटेड दवाई आसानी से मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

कहते हैं जिला यक्ष्मा पदाधिकारीजिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अशरफ रिजवी ने बताया कि जिले में फोरएफडीसी तथा थ्रीएफडीसी दवाई समाप्त हो गया है. इसको लेकर स्टेट को कई बार लिखित तौर पर अवगत भी कराया गया है. साथ ही स्थानीय स्तर पर दवाई की खरीदारी करने को लेकर कार्य किया जा रहे हैं. बहुत जल्द मरीजों को सभी प्रकार की दवाई सभी स्वास्थ्य केंद्र पर निशुल्क उपलब्ध करायी जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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