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Katihar news : 10 से 20 प्रतिशत तक ब्याज वसूलते हैं निजी फाइनेंस कंपनी

कटिहार. जिले के डंडखोरा थाना क्षेत्र के कंदरपैली निवासी संजीव ठाकुर ने निजी फाइनेंस कंपनी कर्मी के प्रताड़ना से तंग आकर हरियाणा में आत्महत्या कर लिया. लोन रिकवरी एजेंट के

कटिहार. जिले के डंडखोरा थाना क्षेत्र के कंदरपैली निवासी संजीव ठाकुर ने निजी फाइनेंस कंपनी कर्मी के प्रताड़ना से तंग आकर हरियाणा में आत्महत्या कर लिया. लोन रिकवरी एजेंट के टॉर्चर से वह परेशान था. रिकवरी एजेंट लगातार फोन पर किस्त देने की धमकी देता था. इसी प्रताड़ना से तंग आकर संजीव ने आत्महत्या कर ली. जिले की यह पहली घटना नहीं है, बीते माह पूर्व मुफस्सिल थाना क्षेत्र के उदामा रहिखा में रिकवरी एजेंट के प्रताड़ना से तंग होकर महिला ने सुसाइड कर ली थी. एक ऐसा ही मामला फलका थाना क्षेत्र में भी घटित हुई है. जिले में ऐसे अनेकों घटनाएं हैं. जिसमें ग्रुप लोन एजेंट के प्रताड़ना से तंग होकर लोग आत्महत्या करते हैं. सबसे बड़ी बात है कि इस मामले में जिला प्रशासन पूर्णतः मौन बनी रहती है. ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन को माइक्रो फाइनेंस कंपनी की शिकायत नहीं मिली है. बावजूद ग्रुप लोन के माध्यम से निजी फाइनेंस कंपनी गुंडा बैंक संचालित कर रही है.

निजी फाइनेंस कंपनी सरलता से लोगों को देती है कर्ज

निजी फाइनेंस कंपनी, माइक्रो फाइनेंस कंपनी का बैंक लोन देने का कोई मानक नहीं है. लोगों को सरलता से लोन मिलता है तो उनका झुकाव निजी फाइनेंस कंपनी में रहता है. फाइनेंस कंपनी बिना किसी मानक या जांच किए बिना लोगों को ऋण देती है. आधार कार्ड एवं वोटर कार्ड पर पति-पत्नी के फोटो लेकर सरलता से ग्रुप लोन देती है. जिस कारण लोगों का झुकाव निजी फाइनेंस कंपनी पर रहती है. लोगों को बड़ी आसानी से रुपया उपलब्ध हो जाता है. घर की महिलाओं को बड़ी आसानी से निजी फाइनेंस कर्मी अपने झांसे में फांस लेते हैं. लोन राशि में 7 से 8% बैंक प्रोसेसिंग फीस की बात कह कर बैंक कर्मी संबंधित ऋण धारक से रुपये काट लेते हैं. उसके बाद उसे रुपए का भुगतान किया जाता है. जिसमें 10 से 20% प्रतिशत निजी फाइनेंस कंपनी ब्याज वसूलती हैं. इसके अलावा मॉर्गेज लोन, होम लोन, कार लोन, उद्योग लोन निजी फाइनेंस कंपनी देती है. जिसमें प्रोसेसिंग एवं इंश्योरेंस के नाम पर बैंक तकरीबन 10% राशि की कटौती ऋण राशि में कर लेती है.

निजी फाइनेंस व नन बैंकिंग कंपनियों की मानक की होनी चाहिए जांच

जिले की बात की जाय तो जिले में दो दर्जन से भी अधिक निजी फाइनेंस कंपनी, नन बैंकिंग कंपनी संचालित है. जिले में फिनोवा कैपिटल, अन्नपूर्णा फाइनेंस कंपनी, यूनिटी स्मॉल फाइनेंस कंपनी, एचबीएफसी, चोला मुथूट फाइनेंस टीवीएस क्रेडिट, बजाज फिन सर्व, हीरो फाइनेंस एचडीबी, श्रीराम फाइनेंस कंपनी महिंद्रा फाइनेंस कंपनी, बंधन बैंक, आय फाइनेंस कंपनी, वेदिका फाइनेंस कंपनी, जितेंद्र फाइनेंस, जनलक्ष्मी वेदिका माइक्रोफाइनेंस कंपनी, एलएनटी फाइनेंस कंपनी, रेनू माइक्रोफाइनेंस, फिनो माइक्रोफाइनेंस, एसके एस माइक्रोफाइनेंस, समस्ता माइक्रोफाइनेंस सहित ऐसे कई अन्य निजी फाइनेंस कंपनी नॉन बैंकिंग कंपनी संचालित है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर जिले में निजी फाइनेंस कंपनी किस प्रकार संचालित हो रही है. क्या सभी नन बैंकिंग कंपनी एवं निजी फाइनेंस कंपनी मानक पर खरी है.

माह का एक करोड़ का है टारगेट

निजी फाइनेंस एवं माइक्रोफाइनेंस कंपनी में कार्यरत कर्मी को तकरीबन एक करोड़ रुपए माह का टारगेट दिया जाता है. इसमें कुछ छोटी फाइनेंस कंपनी टारगेट कुछ कम रहता है. कर्मी टारगेट को पूरी करने को लेकर धड़ल्ले से ऋण का वितरण करती है तथा ऋण की राशि वसुलने को लेकर ऋण धारक को प्रताड़ित करते है. यही वजह है कि जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निजी फाइनेंस कंपनी ऋण का वितरण करते हैं.

शहर के वार्ड से लेकर प्रखंड के गांव के गलियारों तक ऋण का वितरण

निजी फाइनेंस कंपनी शहर के वार्ड से लेकर गांव के गलियारों तक ऋण का वितरण करते हैं. ग्रुप में महिलाओं के साथ साप्ताहिक रूप से बैठक कर ऋण का वितरण करते हैं. पुनः दूसरे सप्ताह महिलाओं की समूह बुलाकर ब्याज वसूलने को लेकर. अगर ऋण धारक किसी कारण ब्याज देने में आनाकानी करते हैं तो उसे इस समूह में बेइज्जत किया जाता है. अगर ऋण धारक समूह की बैठक में नहीं जाते हैं तो बैंक कर्मी उसके घर पर जाकर तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं.

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