कांग्रेस की दिग्गज नेता सुशीला केरकेट्टा को पराजित कर विधायक बने थे नीलकंठ सिंह
मुंडा
खूंटी
में झारखंड पार्टी के बाद रहा कांग्रेस का कब्जा
प्रतिनिधि, खूंटी
विधानसभा चुनाव का नतीजा सामने आने में अब महज दो दिन शेष रह गये हैं. शनिवार को खूंटी और तोरपा विधानसभा में हुए मतदान का परिणाम सबके सामने आ जायेगा. जनता ने अपना प्रतिनिधि किसे चुना है इसका फैसला हो जायेगा. खूंटी विधानसभा सीट से इस बार छठवीं बार चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी नीलकंठ सिंह मुंडा के समक्ष अपनी साख बचाने की चुनौती है तो दूसरी तरफ झामुमो से चुनाव लड़ रहे रामसूर्या मुंडा को पहली बार जीत हासिल करने की चुनौती. वहीं, अन्य दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों के भी भाग्य का फैसला होना है. खूंटी में नीलकंठ सिंह मुंडा वर्ष 2000 में पहली बार चुनाव लड़कर विधायक बने थे. उन्होंने पहली बार में कांग्रेस की दिग्गज सुशीला केरकेट्टा को मात दिया था. इसके बाद से वे लगातार चुनाव जीतते आये हैं. नीलकंठ सिंह मुंडा से पहले खूंटी विधानसभा सीट में लंबे समय तक कांग्रेस की पकड़ रही है. सुशीला केरकेट्टा लगातार तीन बार विधायक रही हैं. सुशीला केरकेट्टा 1985, 1990 और 1995 में लगातार तीन बार विधायक चुनी गयी थीं. इससे पहले खूंटी सीट में कांग्रेस से सामु पहान 1980 में विधायक थे. वहीं वर्तमान विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा के पिता टी मुचिराय मुंडा भी कांग्रेस से लगातार तीन बार विधायक थे. वे खूंटी में 1967, 1969 और 1972 में विधायक बने थे. उनके बाद एक बार जनता पार्टी से खुदिया पहान खूंटी के विधायक चुने गये थे. देश आजाद होने के बाद शुरुआती दिनों में खूंटी सीट पर झारखंड पार्टी का कब्जा था. झारखंड पार्टी से 1951 में लुकस मुंडा, 1957 में बिर सिंह मुंडा और 1962 में फूलचंद कच्छप खूंटी के विधायक बने थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है