कृषि शिक्षा दिवस के रूप में मनायी गयी देशरत्न डाॅ राजेंद्र प्रसाद की जयंती
प्रतिनिधि, मधेपुरा सिंचाई अनुसंधान केंद्र में मंगलवार को भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डाॅ राजेंद्र प्रसाद की जयंती कृषि शिक्षा दिवस के रूप में मनायी गयी. कार्यक्रम की
प्रतिनिधि, मधेपुरा सिंचाई अनुसंधान केंद्र में मंगलवार को भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डाॅ राजेंद्र प्रसाद की जयंती कृषि शिक्षा दिवस के रूप में मनायी गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ पंकज कुमार यादव ने की. डाॅ पंकज ने देश के प्रथम राष्ट्रपति पर चर्चा करते हुए बताया कि देश के सभी कृषि संस्थानों, विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया कि प्रत्येक वर्ष तीन दिसंबर को कृषि शिक्षा दिवस के रूप में आयोजित किया जायेगा. उन्होंने बताया कि भारत रत्न डाॅ राजेंद्र प्रसाद की जयंती को कृषि शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भारत सरकार ने लिया. इसका कारण अंतरिम सरकार में डाॅ राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम खाद्य व कृषि मंत्री थे. बिहार के लिए यह गौरव की बात है कि राष्ट्र की अंतरिम सरकार के कृषि मंत्री व देश का प्रथम राष्ट्रपति भारत को बिहार ने दिया. कृषि शिक्षा दिवस पर चर्चा करते हुए बताया कि वर्तमान समय में कृषि के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती विश्व की बढ़ती हुई आबादी को संतुलित भोजन उपलब्ध कराना है. इस समस्या के समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिकों व कृषि के छात्र, छात्राओं व किसानों को लगातार प्रयास करने की आवश्यकता है. आजादी के समय हमारे देश में जहां एक भी कृषि विश्वविद्यालय नहीं था वहीं आज हमारे देश में 75 कृषि विश्वविद्यालय है. वर्तमान में हमारे देश में अनुसंधान के लिए 100 से अधिक केंद्रीय व राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र कार्य कर रहे हैं व कृषि प्रसार के लिए भारत सरकार द्वारा 721 कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित किये जा चुके है. आज हमारा देश मुख्य फसलों के उत्पादन में विश्व स्तर पर अग्रणी देशों में शामिल है. मौके पर पर सिंचाई अनुसंधान केंद्र मधेपुरा के वैज्ञानिक डाॅ अनिल कुमार आदि मौजूद थे. शिक्षा दिवस कार्यक्रम का संचालन प्रभारी डाॅ पंकज कुमार यादव व धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक डाॅ अनिल कुमार ने किया.
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