बक्सर. लाल निशान के बिल्कुल करीब पहुंचकर गंगा का जलस्तर अब नीचे उतरने लगा है. जिससे गंगा के कछारी इलाके में राहत की संभावना बढ़ गई है. हालांकि जिन रिहायशी क्षेत्रों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है वहां के लोगों को अभी राहत नहीं मिली है. एक दिन पूर्व बुधवार की सुबह अधिकतम 60.30 मीटर पर पहुंचने के बाद गंगा का जलस्तर स्थिर हो गया था और 24 घंटे से ज्यादा समय तक ठहराव के बाद बहुत ही धीमी गति से घटना शुरू हुआ. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गुरुवार की सुबह गंगा का जलस्तर मात्र 1 सेंटीमीटर घटकर 60.29 मीटर दर्ज किया गया. इसके बाद अपराह्न 3 बजे तक मात्र 02 सेमी की कमी आने के बाद 60.27 मीटर हो गया. 12 सितंबर से बढ़ रहा था जलस्तर गंगा में पानी बढ़ोतरी का सिलसिला न्यूनतम जलस्तर 55.91 मीटर पर आने के बाद 12 सितंबर को पूर्वाह्न 08 बजे से बढ़ना शुरू हुआ था. बीच के दिनों में कभी तेज तो कभी धीमी रफ्तार से 17 सितंबर की रात तक जारी रहा. सोमवार की सुबह 05 बजे से 02 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ते हुए गंगा का जलस्तर पूर्वाह्न 08 बजे 59.89 मीटर हो गया था. उसी दिन दोपहर 12 बजे से जलस्तर 03 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ने लगा और अपराह्न 03 बजे तक जलस्तर 60.03 हो गया था. अधिकतम 60.30 मीटर हुआ था जलस्तर बक्सर में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से मात्र 02 सेमी दूर 60.30 मीटर पर खड़ा हो गया है. जाहिर है कि बक्सर में वार्निंग लेवल 59.32 मीटर तथा खतरे का निशान 60.32 मीटर निर्धारित है. गंगा में पानी का यह स्तर इस बरसाती मौसम का सबसे अधिक बताया जा रहा है. बरती जा रही है सतर्कता जिला में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद जिला प्रशासन सतर्कता बरत रहा है. प्रशासन के मुताबिक जिले के बाढ़ प्रभावित बक्सर, इटाढी, चौसा एवं चक्की अंचल में कुछ जगहों को छोड़ स्थिति सामान्य होने लगी है. सबसे ज्यादा खतरे वाला सिमरी अंचल अंतर्गत गंगौली, राजपुर परसनपाह पंचायतों तथा ब्रह्मपुर अंचल की उतरी नैनीजोर ग्राम पंचायत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अभी भी मुस्तैदी बरती जा रही है. रामरेखाट के विवाह मंडप अभी भी जलमग्न है. जिससे स्नान के लिए वहां आने वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है, ताकि ज्यादा गहरे पानी में लोग नहीं जा सके.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है