मधुबनी . बिस्फी थाना क्षेत्र में तकरीबन 16 वर्ष पूर्व सुनील ठाकुर की हत्या मामले की अपर जिला एवं सत्र न्यायालय तृतीय के न्यायाधीश वेद प्रकाश मोदी की न्यायालय में बुधवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई. न्यायालय ने दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद आरोपी बिस्फी थाना क्षेत्र के बलहा निवासी लोचन ठाकुर उर्फ शैलेन्द्र ठाकुर को दफा 302 भादवि में आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. साथ ही न्यायालय ने दोषी पर 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की राशि नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. सरकार की ओर से न्यायालय में अपर लोक अभियोजक जगदीश प्रसाद यादव व विरेन्द्र कुमार ने बहस करते हुए कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की थी. वहीं बचाव पक्ष से अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी ने बहस करते हुए कम से कम सजा देने की मांग की थी.
क्या है मामला
अपर लोक अभियोजक के अनुसार 2 दिसंबर 2008 को आरोपी लोचन ठाकुर को अपने बड़े भाई सुनील ठाकुर से घरेलू बात को लेकर विवाद हो गया. फिर दोनों के बीच विवाद को समाप्त करा कर सूचिका अपने पति को लेकर घर चली गई. फिर दूसरे दिन 3 दिसंबर 2008 की सुबह साढ़े पांच बजे आरोपी अपनी पत्नी के साथ लोहे की रॉड लेकर आया और सुनील ठाकुर को मारने लगा. जिससे उसका सिर फट गया. सूचिका के चिल्लाने पर ग्रामीण आये तो आरोपी भाग गया. ग्रामीणों की मदद से कमतौल अस्पताल में इलाज के लिए सुनील ठाकुर को भर्ती कराया गया. जहां इलाज के क्रम सुनील ठाकुर की मौत हो गयी. मामले को लेकर मृतक की पत्नी शैल देवी के बयान पर बिस्फी थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
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