मन में निर्मलता जरूरी:मुनिवीशल्य सागर
गणाचार्य विरागसागरजी को विन्यांजली किशनगंज.धर्मशाला रोड़ स्थित पार्श्वनाथ भवन में विराजमान गणाचार्य विरागसागर जी महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि विशल्य सागरजी महाराज के ससंघ आगमन से दिगंबर जैन समाज में
गणाचार्य विरागसागरजी को विन्यांजली किशनगंज.धर्मशाला रोड़ स्थित पार्श्वनाथ भवन में विराजमान गणाचार्य विरागसागर जी महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि विशल्य सागरजी महाराज के ससंघ आगमन से दिगंबर जैन समाज में धार्मिक भावना का संचार हुआ है. मुनिश्री की दीक्षा प्रदाता गुरुदेव विरागसागर जी महाराज का विगत 4 जुलाई को देवलोकगमन हो गया था,जिसके लिए आज समाज द्वारा विन्यांजली का कार्यकर्म जैन मंदिर में रखा गया,जिसमे स्थानीय समाज के अलावा कानकी समाज के श्रद्धालुओं ने उनहें श्रद्धासुमन अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी.इसके पूर्व मुनि श्री ने अपने मार्मिक,तात्विक चिंतन के द्वारा उदबोधन में कहा कि असत्यता हमारी आत्मा को अपवित्र करते हुए मन की निर्मलता को नष्ट करती है. मुनि श्री ने भक्तो को संबोधित करते हुए कहा कि संगति का परिणाम ही मनुष्य को परिभाषित करता है,यदि हम बेहतर संगति करते हैं तो गुणों की प्राप्ति होती है. वितरागता को देखने से विरागता के भाव होंगे, रागियो को देखने से राग के भाव उत्पन्न होते हैं, इसलिए क्रोध को छोड़कर शांत जीवन को अपनाने की आवश्यकता है. दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष त्रिलोक चंद जैन ने मुनि श्री के विषय में बताते हुए कहा कि सादगी से जीवन जीना जैन मुनि से सीखना चाहिए जो मुनि धर्म का पालन करते हुए आजीवन पदविहार करते हैं,24 घंटे में एकबार अन्न-जल का ग्रहण होता है,मुनि चर्या में और भी कई कठिन प्रक्रिया का सहजता से पालन करना होता है. समाज के सचिव संतोष पाटनी ने बताया कि मुनि श्री के ससंघ से किशनगंज में धर्म प्रभाव बढ़ा है. मुनि सेवा में राज कुमार छाबड़ा,मानक काला,अशोक ठोलिया,विकास अजमेरा,संजय चान्दुवाड,मनोज पाटनी,अमृत छाबड़ा आदि के अलावा महिला समाज की सचिव सविता पांड्या अपनी पुरी टीम के साथ लगी हुई है.
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