मोटे अनाज की खेती को किया गया जागरूक
पीपराकोठी. मोटा अनाज मधुमेह कम करने में मदद करता है और हृदय रोग के जोखिम को भी कम करता है. मिलेट में प्रोटीन, खनिज और विटामिन के संदर्भ में चावल
पीपराकोठी. मोटा अनाज मधुमेह कम करने में मदद करता है और हृदय रोग के जोखिम को भी कम करता है. मिलेट में प्रोटीन, खनिज और विटामिन के संदर्भ में चावल और गेहूं से तीन से पांच गुना अधिक पोषण होता है. यह मुनाफे के दृष्टिकोण से भी बेहतर होता है. इस लिए किसानों को इसकी खेती करनी चाहिए. उक्त बातें केविके हेड डॉ अरविंद कुमार ने केविके के अटल सभागार में आयोजित जिलास्तरीय खरीफ कर्मशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान की. इसके पूर्व जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार, संयुक्त निदेशक शस्य संजय नाथ तिवारी, केविके हेड डॉ अरविंद कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. कहा कि मोटा अनाज स्टार्च का बढ़िया स्रोत है, जो इसे उच्च ऊर्जा वाला भोजन बनाता है. मोटा अनाज प्रोटीन और फाइबर का उत्कृष्ट स्रोत है. मोटे अनाज की खेती के फायदे के बारे में कहा कि कम पानी व कम लागत में उगाई जा सकती है. अन्य अनाज की तुलना में अधिक पौष्टिक होती है. डीएओ प्रवीण कुमार ने भी मिलेट, गन्ना व मक्के की खेती के लिए प्रोत्साहित किया. विभिन्न योजना के तहत 3574.16 क्विंटल धान बीज वितरण का लक्ष्य रखा गया है. सहायक निदेशक उद्यान विकास कुमार ने कहा कि लेड लेडी पपीता की खेती के लिए 15 हेक्टेयर की खेती का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए 75 फीसद अनुदान दिया जाएगा. कार्यक्रम का आयोजन परियोजना निदेशक (आत्मा) पूर्वी चंपारण द्वारा किया गया. मौके पर जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ श्रीवास्तव, सहायक निदेशक उद्यान विकास कुमार, राजेश कुमार, सुशील सिंह, सुरेंद्र भारती, संतन कुमार, किसान दुर्गा सिंह, रविंद्र सिंह, मनोरंजन सिंह, ललन शुक्ला सहित सभी अनुमंडल पदाधिकारी व प्रखंड कृषि पदाधिकारी मौजूद थे.
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