– कई महत्वपूर्ण बैठक प्रक्रियां लंबे समय से खुद विश्वविद्यालय की उदासीनता के कारण लंबित
मुंगेर. एक ओर जहां राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच टकराव के कारण लगातार विश्वविद्यालयों पर दवाब बढ़ता चला जा रहा है. वहीं मुंगेर विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता के कारण विश्वविद्यालय में पेडिंग कार्यों की सूची लगातार लंबी होती जा रही है. अब तो खुद कुलाधिपति द्वारा कुलपति प्रो. श्यामा राय के अधिकारों को सीमित कर दिया गया है. लंबे समय से एमयू के पेडिंग कार्यों की सूची लगातार बढ़ती जा रही है. इस बीच लगातार राजभवन और शिक्षा विभाग द्वारा अधिकारियों को बैठक के लिये पटना बुलाया जा रहा है. ऐसे में एमयू के लिये पेडिंग कार्यों की सूची काफी लंबी हो गयी है. हाल यह है कि इन पेडिंग कार्यों की सूची में कई कार्य ऐसे हैं, जिसे बीते वित्तीय वर्ष में ही पूरा होना था. जबकि कुछ पेडिंग कार्यों के कारण खुद एमयू प्रशासन को फजीहत झेलनी पड़ रही है. इतना ही नहीं अबतक छठा सीनेट बैठक न होने के कारण एमयू अपने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये संभावित 600 करोड़ का बजट तक पारित नहीं करा पाया है.एमयू के लंबित कार्यों की सूची
– फरवरी या मार्च माह में आयोजित होने वाला एमयू का छठा सीनेट बैठक अबतक लंबित पड़ा है.–
लगभग 3.70 करोड़ का एडवांस सेटलमेंट अबतक लंबित, जिसके कारण बीते दिनों कैग की टीम द्वारा भी आपत्ति दर्ज करायी गयी थी.–
अनुकंपा पर नियुक्ति की प्रक्रिया 4 माह बाद भी अबतक लंबित, जनवरी में ही अनुकंपा आश्रितों के धरना प्रदर्शन के बाद आरंभ की गयी थी प्रक्रिया. जबकि पूर्व में 15 में केवल 6 आश्रितों की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में आ गयी है.–
शिक्षक प्रमोशन का मामला अबतक लंबित पड़ा है. जबकि अखबारों में खबर प्रकाशित होने के बाद ही विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षक प्रमोशन को लेकर संयोजक की नियुक्ति से संबंधित सूचना जारी की गयी.–
83 शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के अस्थायी प्रमोशन की अधिसूचना अबतक नहीं हो पायी है जारी, जबकि पूर्व में लगभग 20 से अधिक कर्मियों को स्थायी प्रमोशन दिये जाने के बाद उन्हें अस्थायी प्रमोशन देना खुद विश्वविद्यालय के लिए मुसीबत बना पड़ा है.–
लगभग 7 माह से कुलपति का वाहन केवल 8 हजार रुपये के बैटरी के कारण खराब पड़ा है. जबकि पूर्व में बैटरी के लिए राशि दिये जाने के बाद कर्मी द्वारा दूसरे मद में राशि का खर्च करना अब मुसीबत बना हुआ है.– एमयू का ई-लाइब्रेरी अबतक केवल फाइलों में ही चल रहा है. जबकि फरवरी माह में इसे लेकर विश्वविद्यालय द्वारा बैठक आयोजित कर कई आवश्यक निर्णय लिया गया था. लेकिन बैठक के बाद से ई-लाइब्रेरी का मामला अबतक लंबित पड़ा है.
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