News of Jharkhand High Court : शव के साथ प्रदर्शन करना गैरकानूनी सम्मान के साथ करें संस्कार : हाइकोर्ट

रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने डेड बॉडी को लेकर प्रदर्शन की बढ़ रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है. इस तरह के मामले को लेकर

By Prabhat Khabar News Desk | December 4, 2024 11:46 PM

रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने डेड बॉडी को लेकर प्रदर्शन की बढ़ रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है. इस तरह के मामले को लेकर मैथन पावर लिमिटेड की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किया है. अदालत ने कहा कि डेड बॉडी को लेकर विरोध-प्रदर्शन करना गैरकानूनी है. जिस तरह से सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार होता है, उसी प्रकार मरने के बाद शव को उचित सम्मान मिलने का भी अधिकार है.

मुख्य सचिव व डीजीपी को दिशा-निर्देशों को सख्ती से पालन कराने का निर्देश

अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव व डीजीपी को दिशा-निर्देशों को सख्ती से पालन कराने का निर्देश दिया है. उपरोक्त अधिकारियों को अदालत ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस आदेश को जिला मजिस्ट्रेट/उपायुक्त व जिले के एसएसपी या एसपी के साथ-साथ राज्य के संबंधित पुलिस थाना के प्रभारी सहित सभी संबंधितों को सूचित किया जाये, ताकि अदालत के निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जा सके. अदालत ने याचिका को निष्पादित करते हुए शव को उचित सम्मान के साथ दफनाने या दाह संस्कार करने के लिए निर्देश जारी किया.

मैथन पावर लिमिटेड के गेट पर आये दिन डेड बॉडी रख कर लोग करते हैं विरोध प्रदर्शन

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि निरसा में मैथन पावर लिमिटेड का प्लांट है, जहां पर बिजली का उत्पादन होता है. उसके गेट पर आये दिन डेड बॉडी रख कर विरोध प्रदर्शन किया जाता है. इससे एक तो काम प्रभावित होता है, वहीं व्यक्ति के शव को उचित सम्मान भी नहीं मिलता है. राजस्थान व हरियाणा में डेड बॉडी डिस्पोजल का एक्ट बना हुआ है. डेड बॉडी को लेकर प्रदर्शन करना गैरकानूनी है. झारखंड में भी इसको लेकर गाइडलाइन होनी चाहिए. संविधान के आर्टिकल-21 के तहत डेड बॉडी के डिस्पोजल के लिए सम्मानजनक अधिकार है. अधिवक्ता श्री गाड़ोदिया ने अदालत ने राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया. मैथन पावर लिमिटेड की ओर से याचिका दायर की थी.

अदालत ने जारी किया निर्देश, सख्ती से हो पालन

अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति के शव का उपयोग अवैध रूप से एकत्रित लोगों या परिवार के सदस्यों द्वारा विरोध जताने के लिए किया जा रहा है या किये जाने की संभावना है, तो संबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी शव को अपने कब्जे में लेगा. शव को निकटतम सरकारी अस्पताल भेजेगा और इस संबंध में तत्काल संबंधित जिले के उपायुक्त व एसएसपी या एसपी को लिखित रूप में सूचना भेजेगा. जिला के उपायुक्त, थाना प्रभारी से सूचना प्राप्त करने के बाद मृतक के परिवार के सदस्यों को सूचित करेगा और उनसे मृतक का अंतिम संस्कार करने का अनुरोध करेगा. यदि उपायुक्त, एसएसपी या एसपी की रिपोर्ट पर संतुष्ट हो कि परिवार के सदस्य शव का अंतिम संस्कार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं, तो उपायुक्त परिवार के सदस्यों को शव का अंतिम संस्कार निर्धारित समय के भीतर करने के लिए सशर्त आदेश पारित करेंगे, जिसे परिवार के सदस्यों द्वारा उचित कारण बताये जाने पर बढ़ाया जा सकता है. यदि परिवार के सदस्य निर्धारित समय के भीतर शव का अंतिम संस्कार नहीं करते हैं, तो मृतक व्यक्ति की धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए लोक प्राधिकरण द्वारा अंतिम संस्कार किया जायेगा. जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि किसी व्यक्ति के शव के साथ विरोध करने के लिए कोई गैरकानूनी सभा एकत्र न हो. लावारिस शव के मामले में, जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शव को निकटतम सरकारी अस्पताल में सुरक्षित स्थिति में रखा जाये और उसके बाद उसका निबटान किया जाये. लावारिस शवों के निबटान के लिए झारखंड राज्य द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं व नियमों की शर्तों का पालन किया जाना चाहिए.

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