News of scam in JPSC : जेपीएससी-2 में प्रश्न पत्र सेट करने के लिए पैनल नहीं बना, फोन पर की गयी परीक्षकों की नियुक्ति

शकील अख्तर (रांची). जेपीएससी-2 में मनपसंद उम्मीदवारों को अफसर बनाने के लिए आयोग के अध्यक्ष की सहमति से फोन पर परीक्षकों की नियुक्ति की गयी. बनारस के महात्मा गांधी काशी

By Prabhat Khabar News Desk | December 7, 2024 12:47 AM

शकील अख्तर (रांची). जेपीएससी-2 में मनपसंद उम्मीदवारों को अफसर बनाने के लिए आयोग के अध्यक्ष की सहमति से फोन पर परीक्षकों की नियुक्ति की गयी. बनारस के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और आसपास के क्षेत्र से नियुक्त किये गये परीक्षकों में अनेकों को नियुक्ति पत्र भी नहीं दिये गये. उनके नियुक्ति पत्र आयोग में ही पड़े रहे. सुनियोजित साजिश के तहत क्वेश्चन सेटर, मॉडरेटर, एग्जामिनर आदि का पैनल नहीं बनाया गया. इतना ही नहीं नियुक्ति घोटाले के अंजाम देने के उद्देश्य से कॉपियों को कोडिंग और डिकोडिंग का काम भी निजी कंपनी को दिया गया. सीबीआइ ने जेपीएससी घोटाले की जांच रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया है.

परीक्षा नियंत्रक ने कॉपियों की कोडिंग-डिकोडिंग का काम नियम के विरुद्ध निजी कंपनी को दे दिया

सीबीआइ ने जांच में पाया कि कॉपियों की कोडिंग-डिकोडिंग का काम कम से कम उपसमाहर्ता स्तर के प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों द्वारा कराये जाने का प्रावधान है. जेपीएससी रूल में यह काम किसी दूसरे व्यक्ति या निजी संस्था द्वारा कराने के प्रावधान नहीं है. लेकिन, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी सिंह ने मनपसंद लोगों को अफसर बनाने के लिए यह काम एनसीसीएफ नामक निजी कंपनी को दे दिया. इसके बाद एलिस उषा रानी सिंह और एनसीसीएफ के प्रतिनिधि धीरज कुमार के सहयोग से बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गयी. मनपसंद लोगों को अफसर बनाने के लिए परीक्षकों की नियुक्ति भी मनमाने तरीके से की गयी और प्रारंभिक परीक्षा(पीटी) की तरह ही जरूरत से ज्यादा उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में सफल घोषित किया गया. नियमानुसार, रिक्त पदों के मुकाबले 516 उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में सफल घोषित करना था. सुनियोजित साजिश के तहत मुख्य परीक्षा में पहले 561 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया. इसके बाद दिसंबर 2007 में मुख्य परीक्षा को संशोधित रिजल्ट जारी किया गया. इसमें 804 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया.

परीक्षकों की नियुक्ति के प्रावधान का उल्लंघन

सीबीआइ ने जांच में पाया कि जेपीएससी-2 में तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप प्रसाद ने साजिश रच कर प्रश्न पत्र सेट करनेवालों को पैनल ही नहीं बनाया. इसके अलावा मॉडरेटर, एग्जामिनर, को-ऑर्डिनेटर और इंटरव्यू एक्सपर्ट का पैनल नहीं बनाया. मुख्य परीक्षा की कॉपी जांचने के लिए परीक्षकों की नियुक्ति के प्रावधान का उल्लंघन किया गया. आयोग के तत्कालीन सदस्य गोपाल प्रसाद ने अपने एक करीबी परमानंद सिंह को इवैल्यूएशन सेंटर को-ऑर्डिनेटर नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया. अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया. इसके बाद परमानंद सिंह ने मनमाने ढंग से परीक्षकों की नियुक्ति की. उन्होंने फोन करके बनारस के महात्मा गांधी विद्यापीठ और उसके आसपास के क्षेत्रों से परीक्षकों को बुलाया. कुछ परीक्षकों को नियुक्ति पत्र भेजे गये. कुछ को कॉपियों का मूल्यांकन करने के लिए सेंटर पर पहुंचने के बाद नियुक्ति पत्र दिया गया. जबकि, कुछ परीक्षकों को नियुक्ति पत्र भी नहीं दिये गये. उनका नियुक्ति पत्र आयोग के रजिस्टर में ही पड़ा रहा. जिन परीक्षकों का नियुक्ति पत्र रजिस्टर में पड़ा रहा, उन्हें प्राप्ति रसीद भी नहीं दी गयी. इन परीक्षकों ने आयोग के तत्कालीन पदाधिकारियों और उनके द्वारा दिये गये निर्देश के आलोक में नंबर बढ़ाने की बात स्वीकार की है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version