नहीं होगा मॉनिंग कोर्ट, डे कोर्ट के पक्ष में अधिवक्ता संघ ने किया प्रस्ताव पारित

प्रतिनिधि पूर्णिया कोर्ट. इस साल भी मॉनिंग कोर्ट नहीं होगा. यह जानकारी जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अवधेश कुमार तिवारी ने दी. उन्होंने बताया कि दरअसल, बिहार सरकार के

By Prabhat Khabar News Desk | April 21, 2024 6:55 PM

प्रतिनिधि पूर्णिया कोर्ट. इस साल भी मॉनिंग कोर्ट नहीं होगा. यह जानकारी जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अवधेश कुमार तिवारी ने दी. उन्होंने बताया कि दरअसल, बिहार सरकार के अन्य अधिकारियों का न्यायालय इसमें कमिश्नर, जिलाधिकारी, एडिशनल कलेक्टर, डीसीएलआर तथा एसडीएम के न्यायालय का कार्य अवधि डे में चलेगा. ऐसी स्थिति में मॉर्निंग कोर्ट होने के बाद अधिवक्ताओं को डे कोर्ट के लिए भी काम करने में बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. इसलिये मॉर्निंग कोर्ट नहीं चलेगा. गौरतलब है कि अंग्रेजी सरकार के समय से ही जिले के सभी न्यायालय में गर्मी में तीन माह तक अप्रैल मई और जून इन तीनों माह में प्रातः कालीन न्यायिक कार्य व्यवस्था चलती आ रही थी.हाईकोर्ट ने इस व्यवस्था को पिछले वर्ष ही खत्म कर दी थी. पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद बिहार सरकार ने इस मामले में गजट भी जारी किया था. इसमें स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि बिहार के सभी सिविल कोर्ट (मुफस्सिल कोर्ट)और अनुमंडल कोर्ट गर्मी के समय में तीन माह चलने वाली प्रातः कालीन न्यायिक कार्य व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है तथा इसके स्थान पर न्यायालय डे कोर्ट ही होगा. हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्णिया कोर्ट के जिला न्यायाधीश ने 3 अप्रैल से चलने वाली जिला प्रातः कालीन न्यायिक कार्य व्यवस्था के आदेश को रद्द कर दिया था. लेकिन कुछ अधिवक्ताओं ने इसका विरोध किया ओर हाईकोर्ट को ज्ञापन सौंपा. इसपर एक आदेश हुआ कि अगर जिला के संघ चाहें तो एक प्रस्ताव जिला जज को दें तो उस न्यायामंडल में जिला जज मॉर्निंग कोर्ट कर सकते हैं. इसी आधार पर मॉर्निंग कोर्ट के लिए अधिवक्ताओं का एक धरा जिसका नेतृत्व नवल किशोर चोधरी कर रहे थे, ने एक आवेदन संघ को देकर मॉर्निंग कोर्ट करने की मांग उठाई थी. इसपर 82 अधिवक्ताओं ने अपना हस्ताक्षर किया था जबकि अधिवक्ताओ का दूसरा धरा मॉर्निंग कोर्ट नही चलाने के पक्षधर था. इस मुहिम के लिए हस्ताक्षर करवाने के लिए रानी कुमारी जुटी हुई थी. इसपर 276 अधिवक्ताओं ने अपना हस्ताक्षर किया. इस प्रकार वर्तमान समय के पक्षधर वकील के बहुसंख्यक आवेदन को मान लिया गया. इस आदेश से मुकदमे के पक्षकारों और अधिवक्ताओं को बड़ी राहत मिली. प्रातः कालीन कोर्ट में न्यायिक कार्य चलने से दूर-दराज के पक्षकारों और अधिवक्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. फोटो. 21 पूर्णिया 36- बैठक करते अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अवधेश कुमार तिवारी सचिव सुमन जी प्रकाश .

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