ओल्ड मेची वाया कुड़ीमनी बरचौंदी ग्रामीण सड़क की जर्जर स्थिति से यातायात में बढ़ी परेशानी
पौआखाली . ठाकुरगंज प्रखंड में ग्रामीण सड़कों की बेहद जर्जर स्थिति है यही वजह है कि ग्रामीण तबके में सुलभ यातायात को लेकर इलाके के लोग खासा परेशानी झेलने को
पौआखाली . ठाकुरगंज प्रखंड में ग्रामीण सड़कों की बेहद जर्जर स्थिति है यही वजह है कि ग्रामीण तबके में सुलभ यातायात को लेकर इलाके के लोग खासा परेशानी झेलने को आज के दौर में भी विवश हैं. इन्ही जर्जर सड़कों में से एक सड़क है नेशनल हाइवे 327 ई से जुड़ी ओल्ड मेंची वाया कुड़ीमनी बरचौंदी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क, जो पिछले छह सात वर्षों से जर्जर अवस्था में है. यह ग्रामीण सड़क ठाकरगंज प्रखंड मुख्यालय आने जाने के लिए बरचौंदी ग्राम पंचायत के दर्जनों गांवों के ग्रामीणों का मुख्य संपर्क पथ है. किंतु विडंबना है कि हजारों की आबादी पिछले छह वर्षों से इस जर्जरता के दंश को झेलने में आज भी मजबूर हैं. सड़क की लंबाई लगभग तेरह किलोमीटर है जिसमें सिर्फ और सिर्फ ऊबड़ खाबड़ गड्ढे और छितराई गिट्टियां ही नज़र आती है. वर्षों से सड़क के पुनर्निर्माण की मांग करने वाले बरचौंदी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि बिरेंद्र सिंह का कहना है कि ओल्ड मेची से बरचौंदी तक तेरह किमी इस ग्रामीण होकर ओल्ड मेची, चट्टान, कुड़ीमनी, झांटीबाड़ी,झरुआडांगा, मिलिक टोला, कुंजीमारी,शर्मा टोला सहित दर्जनभर गांवों के ग्रामीणों का रोजाना ही यातायात परिचालन होता है. वर्ष 2016 में सड़क निर्माण एजेंसी के द्वारा मेंटेनेंस वर्क के छह माह बाद से ही सड़क की स्थिति बद से बदतर होती चली गई. बरसात के दिनों में सड़क में बन आए गड्ढे जलमग्न रहती है जिस वजह बाइक और साइकिल सवारी अकसर दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. जर्जर सड़क के कारण समय पर प्रसव पीड़ा से तड़पती माता बहनों को और गंभीर बीमारी से त्रस्त इमरजेंसी हालात वाले मरीज समय पर ठाकुरगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर नही पहुंच पाते है और उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ता है. वाहन चालकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. इलाके के किसानों को अपनी फसल को मंडियों तक लेकर जाने में परेशानी होती है जर्जर सड़क के कारण वाहन मालिक भाड़ा तक के लिए तैयार नहीं होते हैं. जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का यह इलाका वर्षों से दंश झेलने को विवश है. बरसात से पहले सड़क का पुनर्निर्माण होना बहुत ही जरूरी है वर्ना हजारों आबादी की परेशानियां जस की तस रह जाएगी. वहीं विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सड़क टेंडर प्रक्रिया के अधीन है. टेंडर होने के बाद सड़क पुनर्निर्माण का कार्य प्रारंभ हो जाएगा.
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