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पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने से मनुष्य की आयु में होती है वृद्धि

भीषण गर्मी में भी इस पेड़ के नीचे होता है ठंड का अहसास सत्तरकटैया. पर्यावरण की दृष्टि से पीपल की पेड़ को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. जिसके कारण

भीषण गर्मी में भी इस पेड़ के नीचे होता है ठंड का अहसास सत्तरकटैया. पर्यावरण की दृष्टि से पीपल की पेड़ को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. जिसके कारण इस पेड़ से लोगों की आस्था जुड़ी हुई रहती है. यह पेड़ ऑक्सीजन का स्रोत माना जाता है. जिसके कारण भीषण गर्मी में भी इस पेड़ के नीचे ठंडक महसूस की जाती है. हरा भरा व विशाल टहनियों वाली इस पेड़ को जीवनदायनी वृक्ष की संज्ञा दी गयी है. पद्म पुराण के अनुसार पीपल के वृक्ष को प्रणाम कर उसकी परिक्रमा करने से मनुष्य के आयु की वृद्धि होती है. इस वृक्ष पर जल चढ़ाने से सभी पापों का अंत होता है. वही शनिदेव की पीड़ा भी शांत होती है. माना जाता है कि पीपल का पेड़ लगाने वाले व्यक्ति के जीवन मे किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है. मान्यताओं के इस पेड़ में सभी देवी-देवताओं व पितरों का वास होता है. पीपल का पेड़ भगवान विष्णु का जीवन और मूर्तिमान स्वरूप माना गया है. इस पेड़ का धार्मिक व आयुर्वेदिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है. सत्तर पंचायत के मेनहा गांव में 70 साल पुराना एक पीपल का पेड़ है. जहां प्रतिदिन लोग पूजा करने आते है. लोगों की ऐसी धारणा है कि इस पेड़ में भगवान का वास है. प्रतिदिन पीपल पेड़ में जल डालने व उसे प्रणाम करने से उसके मन की मनोकामना पूरी होती है. इस पेड़ को भगवान का पुजारी कांति मंडल ने लगाया था. उसका देहांत बहुत पहले ही हो गया. लेकिन यह पेड़ धीरे-धीरे बढ़ता ही गया और अब विशाल वृक्ष का रूप ले लिया है. ग्रामीणों के सहयोग से इसके चारों तरफ चबूतरा का निर्माण कराया गया है और बजरंगबली मंदिर की स्थापना की गयी है. इस वृक्ष के बगल में पोखर और रामठाकुरबारी स्थान भी है. जहां साधु संत रहते है. थोड़ी दूरी पर माघ मास में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला लगाया जाता है. इस पेड़ की छांव में आसपास के लोग बैठकर आनंद लेते है. मुरादे पूरी होने वाले लोगों के द्वारा बराबर कीर्तन भजन व अष्टयाम व सम्मेलन का आयोजन करते है.

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