रांची. कनहर बराज परियोजना में लगातार हो रहे विलंब पर बुधवार को हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी. राज्य के मुख्य सचिव, जल संसाधन सचिव, वन सचिव और वित्त सचिव को तलब किया. सभी अधिकारी द्वितीय पाली में हाजिर हुए. इसके बाद चीफ जस्टिस डॉ बीआर सारंगी व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों से कहा कि वर्ष 2020 में सरकार ने पांच साल में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की बात कही थी. इसके लिए टाइमफ्रेम भी दिया गया था. पांच साल बीत गया, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा है. अदालत ने मुख्य सचिव को प्रोजेक्ट पूरा करने का टाइम लाइन देने और बराज का निर्माण पूरा होने तक गढ़वा और पलामू के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. साथ ही इस संबंध में शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया. इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होगी.
सरकार के शपथ पत्र को अदालत ने किया अस्वीकार
सुनवाई के दौरान सरकार ने शपथ पत्र दायर कर कनहर बराज पूरा करने के लिए आठ साल का समय मांगा, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह याचिका वर्ष 2009 में दायर की गयी है. वर्ष 2024 तक सुनवाई चल रही है, लेकिन राज्य सरकार कनहर बराज परियोजना को लेकर उदासीन बनी हुई है. झारखंड के पलामू और गढ़वा क्षेत्र में सुखाड़ की स्थिति वर्षों से देखी जा रही है, लेकिन वहां सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कोई सकारात्मक कदम राज्य सरकार ने नहीं उठाया है. सरकार बार-बार शपथ पत्र दाखिल कर रही है, लेकिन अभी तक परियोजना को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. पांच साल में प्रोजेक्ट पूरा करने का दावा सरकार ने किया था, लेकिन पूरा नहीं हो सका. यह इस बात का संकेत करता है कि राज्य सरकार कैसा काम कर रही है.
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