रेफर होने के पहले बीमार नवजात को नहीं मिल रही गुणवत्तापूर्ण सुविधा
स्वास्थ्य विभाग मामले में गंभीर, बीमार नवजात को रेफर करने को लेकर जारी किया नया एसओपीसिविल सर्जन को तुरंत एसओपी लागू करने का दिया गया निर्देशजमुईशिशु मृत्यु दर कम करने
स्वास्थ्य विभाग मामले में गंभीर, बीमार नवजात को रेफर करने को लेकर जारी किया नया एसओपी
सिविल सर्जन को तुरंत एसओपी लागू करने का दिया गया निर्देशजमुई
शिशु मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य को लेकर सरकार राज्य के सभी सदर अस्पतालों एवं चिकित्सा महाविद्यालय में एसएनसीयू का संचालन कर रही है. पर स्वास्थ्य संस्थानों व समुदाय से रेफर किये गये बीमार नवजात को गुणवत्तापूर्ण सेवा नहीं मिल पा रही है. इस कारण सर्विस क्वालिटी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इसे लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी सिविल सर्जन को आदेश पत्र जारी किया है. इसमें बताया गया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, पीएचसी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल से जिला अस्पताल में स्थापित एसएनसीयू में बीमार नवजात को रेफर तथा गुणवत्तापूर्ण सेवा उपलब्ध कराने के लिए एसओपी यानि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार किया गया है. सभी बीमार नवजात को रेफर करने के लिए एसओपी का पालन करेंगे. सिविल सर्जन डॉ सैयद नौशाद अहमद ने बताया कि विभाग द्वारा बीमार नवजात को रेफर करने के लिए सात बिंदुओं पर एसओपी जारी कर दिया गया है. विभाग के निर्देशानुसार जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थान को नये एसओपी को पालन करना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है.जारी एसओपी
– विभाग से जारी नये एसओपी के तहत पीएचसी से लेकर सदर अस्पताल तक सभी स्वास्थ्य संस्थानों के लिए एक चिकित्सक, स्टाफ नर्स को रेफरल पॉलिसी लागू करने एवं समीक्षा करने के लिए नोडल पदाधिकारी को नामित करने का निर्देश दिया गया है. नोडल पदाधिकारी रेफरल सर्विसेज की गुणवत्ता की समीक्षा एवं उच्च संस्थानों से प्राप्त सुझाव के आधार पर आवश्यक कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे.
– नवजात को रेफर करने के लिए सात नियमों का पालन चिकित्सक व स्टाफ नर्स को करना होगा. पूर्व के नियम के तहत समुदाय से लेवल वन यानि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल, एनबीएसयू, अनुमंडल अस्पताल से जो नवजात सुस्त हो, जिनकी सांस तेज चल रही हो, हथेली पीली हो, उल्टी के लक्षण हों, पेट का फैलाव, पैखाना-पेशाब 1 से 24 घंटे से नहीं हो रहा हो, योनि से रक्तस्राव, कोई भी जन्मजात प्रभाव आदि लक्षण मिलने पर नवजात को रेफर करना है.– नये एसओपी के तहत वेंटिलेटर की जरूरत वाले, इलाज का असर नहीं होना, 1.5 किलो से कम वजन वाले, ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होने और गंभीर स्थिति, जन्म से प्रभाव वाले नवजात को जल्द से जल्द रेफर करना सुनिश्चित करना है. – लेवल वन से लेवल 2 एसएनसीयू से रेफर करने के लिए वजन 1800 ग्राम से कम, जन्म 37 सप्ताह से पहले, नवजात का सुस्त होना, सांस से संबंधित परेशानी, बार-बार शरीर में ऐंठन, दूध पीने से परहेज करने, तलवा और हथेली पीला होना, सांस से संबंधित गंभीर परेशानी व अन्य लक्षण होना है.
– नये एसओपी के अनुसार उच्च संस्था जहां रेफर किया जा रहा है, उसे पहले सूचना दी जायेगी. इसके साथ ही इसमें नवजात की स्थिति का संक्षिप्त विवरण देना है.– एसओपी के अनुसार सभी स्तर के स्वास्थ्य संस्थान के लिए रेफर करने से पूर्व नवजात को स्टेबलाइज किया जाना है. रेफरल स्लीप पूरी तरह से भरा होना चाहिये. पूर्व के गर्भ की संख्या, उनका प्रकार एवं प्रसव के दौरान जटिलताओं का उल्लेख करना होगा. वर्तमान प्रसव पूर्व जांच की स्थिति एवं गर्भ का प्रकार, नवजात को रेफर करने का कारण तथा की गयी जांच एवं प्रदान किये गये उपचार का विवरण देना होगा.
– जारी किये गये नये एसओपी में एंबुलेंस में कार्यरत ईएमटी काे रेफर करने के दौरान बीमार नवजात के उचित प्रबंधन के लिए भी निर्देश दिया गया है. नवजात को हाइपरथर्मिया से बचाना, ईएमटी द्वारा नवजात का उच्च संस्थान में भर्ती कराना तथा एंबुलेंस रजिस्टर में नवजात का उच्च स्थान में पंजीयन संख्या अंकित करते हुए उस संस्थान के स्टाफ नर्स ऑन ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर का हस्ताक्षर करवाना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके साथ ही नोडल पदाधिकारी को इसकी समीक्षा प्रतिमाह करनी होगी.कोट
स्वास्थ्य विभाग ने बीमार नवजात को रेफर करने के लिए नया एसओपी तैयार किया है. जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थान से बीमार नवजात को रेफर करने से पूर्व नये एसओपी का पालन करना अनिवार्य है.डॉ सैयद नौशाद अहमद, प्रभारी सिविल सर्जन, जमुईB
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