भूषण कांसी, रनिया : खूंटी जिले के रनिया प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड मशीन पिछले 10 वर्षों से खराब पड़ी है. मशीन शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है. एक्स-रे मशीन 2015 में लाया गया था, लेकिन अब तक एक भी मरीज का एक्स-रे नहीं किया गया है. अल्ट्रासाउंड का भी यही स्थिति है. एक्स-रे के लिए लोगों को रनिया से 30 किलोमीटर दूर तोरपा या जिला मुख्यालय खूंटी जाना पड़ता है. इससे मरीजों को समय के साथ रुपये भी अधिक खर्च करने पड़ते हैं. बगैर उपयोग के एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड मशीन अनुपयोगी साबित हो रहा है. प्रखंड से कई बार तकनीशियन उपलब्ध कराने की मांग उठी है, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं किया गया है. अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉ आलोक बाड़ा ने बताया कि तकनीशियन नहीं है. वहीं जिसके कारण मशीन का उपयोग नहीं किया जाता है. अल्ट्रासाउंड चलाने के लिए रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर भी मौजूद नहीं है.
बारिश में छत से टपकता है पानी :
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रनिया का भवन नया ही बना है. बावजूद बारिश में छत से पानी टपकता है. आरोप है कि भवन बनाने के दौरान अनियमितता बरती गयी थी. जिसके कारण बारिश में छत से पानी रिसता है. सोदे और सरबो में अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र का भवन भी जर्जर है. सरबो में किराये के मकान में स्वास्थ्य केंद्र चलाया जा रहा है.108 एंबुलेंस में नहीं लगता है फोन :
रनिया में 108 एंबुलेंस के लिए फोन नहीं लगता है. जिसके कारण मरीजों को या किसी आकस्मिक दुर्घटना में घायलों को अस्पताल ले जाने में परेशानी होती है. विवश होकर लोगों को निजी वाहनों से मरीजों को अस्पताल ले जाना पड़ता है.मरीजों को मिलती है चिकित्सा सुविधा :
रनिया के सीएचसी में मरीजों को कई चिकित्सा सुविधा मिलती है. मरीजों का ब्लड, शूगर, मलेरिया, टीवी का जांच, हेमोग्लोबिन, एचआइवी, वीडीआरएल, टाइफाइड, एचबीएस की जांच की जाती है. अस्पताल में एक लैब टेक्नीशियन उपलब्ध है. अस्पताल में मरीजों को प्रसव, सामान्य ओपीडी और इमरजेंसी की सुविधा मिलती है. वहीं अस्पताल में भर्ती मरीजों को दवा और खाना दिया जाता है.छह में तीन ही चिकित्सक उपलब्ध :
रनिया सीएचसी में चिकित्सकों की भी कमी है. सीएचसी में एमबीबीएस के कुल छह चिकित्सकों का पद है. जिसमें केवल तीन चिकित्सक ही पदस्थापित हैं. जिसमें एक महिला चिकित्सक है.आयुष अस्पताल का नहीं मिल रहा लाभ :
रनिया सीएचसी परिसर में ही राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय एकमात्र क्रॉनिक आयुष अस्पताल है. इसका लोगों को लाभ नहीं मिलता है. अस्पताल में रोगी को सही ढंग से दवा नहीं मिलता है. जिसके कारण रोगी अस्पताल में आकर बगैर इलाज किया लौट रहे हैं. डॉ सरानी सोय की नियुक्ति अस्पताल में हुआ है, परंतु उनका कब आना और कब जाना रहता है, किसी को मालूम नहीं है. इससे पहले डॉ संजय कुमार का प्रतिनियुक्ति आयुष अस्पताल में हुआ था. चिकित्सक के अभाव में लोगों को क्रॉनिक आयुष अस्पताल से कोई लाभ नहीं मिल रहा है. कागज पर ही रोगियों की जांच और इलाज हो रहा है. सूत्रों की माने तो रिपोर्ट में महीने भर में 300 से अधिक रोगी का विवरण जिला को भेजा जाता है. ग्रामीणों ने रनिया में क्रॉनिक आयुष अस्पताल के लिए नियमित चिकित्सा की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है