सांस कार्यक्रम: निमोनिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित

निमोनिया की रोकथाम, सही समय पर टीकाकरणस्वच्छता के महत्व और बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता किशनगंज.निमोनिया, बच्चों में होने वाली एक गंभीर और जानलेवा बीमारी, हर

By Prabhat Khabar News Desk | September 28, 2024 8:14 PM
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निमोनिया की रोकथाम, सही समय पर टीकाकरण

स्वच्छता के महत्व और बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता किशनगंज.निमोनिया, बच्चों में होने वाली एक गंभीर और जानलेवा बीमारी, हर साल लाखों मासूम जिंदगियों को प्रभावित करती है. भारत में, इस बीमारी से लड़ने के लिए सरकार ने ””सांस”” कार्यक्रम की शुरुआत की है. इसका उद्देश्य बच्चों में निमोनिया की रोकथाम और प्रभावी उपचार सुनिश्चित करना है. इस कार्यक्रम की सफलता के लिए शनिवार को जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा सदर अस्पताल प्रांगण में स्वास्थ्य अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है, ताकि वे सामुदायिक स्तर पर निमोनिया के खिलाफ जागरूकता फैलाने और इसके उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें.जिसमे प्रशिक्षक के रूप में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार , डीडीए सुमन सिन्हा ,यूनिसेफ के एसएम्सी एजाज अहमद, पीसीआइ के जिला प्रतिनिधि , पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि शामिल थे.

स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि सांस कार्यक्रम के तहत, स्वास्थ्य अधिकारियों को व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है. इसका मकसद है कि वे न केवल बीमारी की पहचान कर सकें, बल्कि इसके प्रभावी उपचार और रोकथाम में भी सक्रिय भूमिका निभाएं. इस प्रशिक्षण में निमोनिया की रोकथाम, सही समय पर टीकाकरण, स्वच्छता के महत्व और बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान देने की शिक्षा दी जाती है.इसके साथ ही, अधिकारियों को निमोनिया के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान और त्वरित चिकित्सा सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाता है. प्रशिक्षित अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि समुदाय में निमोनिया के प्रति जागरूकता फैले और समय पर सही उपचार उपलब्ध हो सके.

समुदाय में जागरूकता का प्रसार

सिविल सर्जन डॉ रजेश कुमार ने बताया कि सांस कार्यक्रम के एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू के तहत समुदायों में जागरूकता अभियान चलाने पर भी जोर दिया जा रहा है. प्रशिक्षित स्वास्थ्य अधिकारी घर-घर जाकर लोगों को निमोनिया के लक्षणों की पहचान और उसकी गंभीरता के बारे में बता रहे हैं. इसके साथ ही, वे माता-पिता को यह भी सिखा रहे हैं कि बच्चों में निमोनिया होने की स्थिति में क्या कदम उठाने चाहिए. सही समय पर उपचार से इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है. स्वास्थ्य अधिकारियों के प्रशिक्षण में यह भी सिखाया जाता है कि बच्चों में निमोनिया से बचाव के लिए सही टीकाकरण कितना महत्वपूर्ण है. साथ ही, उन्हें स्वच्छता और सही पोषण के महत्व पर जोर देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, क्योंकि इनसे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है.यह अत्यंत आवश्यक है कि सभी माता-पिता अपने बच्चों में निमोनिया के लक्षणों पर ध्यान दें, जैसे तेज बुखार, सांस लेने में कठिनाई और अत्यधिक खांसी. सही समय पर चिकित्सा परामर्श लेकर इस बीमारी से बचा जा सकता है. सांस कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा उठाए गए कदम बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए हैं, और इसमें जनता का सहयोग भी उतना ही आवश्यक है.

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