Samastipur News: Kanshi Kunwari and Pusa Meghna will become rich: कांशी कुंवारी व पूसा मेघना किसानों को करेगी मालामाल

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By Prabhat Khabar News Desk | October 6, 2024 7:56 PM

Samastipur News: Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University, contemporary suggestions, Sowing of Rabi crops:Rotten street cow dung manure: Plant varieties of cauliflower like Pusa Aghani, Pusa, Patna Main, Pusa Synthetic-1, Pusa Shubhra, Pusa Sharad, Pusa Medhana, Kashi Kunwari and Early Snowwall etc.Start preparing the field for sowing of late varieties of cauliflower like Maghi, Snoking, Pusa Snoking-1, Pusa-2, Pusa Snowwall-16, Pusa Snowwall K-1 in the nursery.Spanosad 48 EC, Monitor for aphids, whiteflies and sucking insects in nurseries of standing crops and vegetables like brinjal, tomato and chilli. folidal imidacloprid,Cauliflower Varieties, Protect milk yielding paddy crop from stink bug insect

Samastipur News: Kanshi Kunwari and Pusa Meghna will become rich : दूध भरने वाली धान की फसल काे गंधी बग कीट से बचायें

Kanshi Kunwari and Pusa Meghna will become rich : समस्तीपुर : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय,पूसा ने किसानों के लिए समसामयिक सुझाव जारी किया है. कहा गया है कि किसान बालियां निकलने तथा दूध भरने की अवस्था वाली धान की फसल में गंधी बग कीट की निगरानी करें. धान की इस अवस्था में यह कीट पौधों को अधिक क्षति पहुंचाती है. इससे उपज काफी कमी होता है. इस कीट के शिशु एवं पौढ़ दुग्धावस्था वाली धान की फसल में बालियों का रस चूसना प्रारंभ कर देती हैं, जिससे दाने खोखले एवं हल्के हो जाते हैं. छिलका का रंग सफेद हो जाता है. इसके शरीर से विशेष प्रकार की बदबू निकलती है, जिसकी वजह से इसे खेतों में आसानी से पहचाना जा सकता है. इसकी संख्या जब अधिक हो जाती है, तो एक–एक बाल पर कई कीट बैठे मिलते हैं. इसके नियंत्रण के लिए फॉलीडाल 10 प्रतिशत धूल का प्रति हेक्टेयर 10 से 15 किलोग्राम की दर से भूरकाव आठ बजे सुबह से पहले अथवा 5 बजे शाम के बाद बालियों पर करें. खेतों के आसपास के मेड़ों पर दवा का भुरकाव अवश्य करें.

Samastipur News: Kanshi Kunwari and Pusa Meghna will become rich : आगात रबी फसलों के लिए करें खेतों में प्रबंधन

किसान रबी फसलों की बोआई पूर्व खेतों, खेत से सटे मेड़ों, नालों एवं आसपास के रास्तों में उगे अवांछित जंगलों की साफ-सफाई प्राथमिकता से करें, ताकि इन जंगलों में छिपे कीट व रोगों के कारक आदि सम्पूर्ण रुप से नष्ट हो जायें. फसलों की स्वस्थ एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिये सड़ी गली गोबर खाद का प्रबंध करें. 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर खाद की मात्र पूरे खेत में अच्छी प्रकार बिखेड़कर मिला दें. यह खाद भूमि की जलधारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की मात्र बढ़ाती है. किसान अगात रबी फसल के लिए खेत की तैयारी मौसम साफ रहने पर शुरु करें.

Samastipur News: Kanshi Kunwari and Pusa Meghna will become rich: अच्छी फसल के लिए खेतों में डालें सड़ी गोबर

फसलों की स्वस्थ एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए सड़ी गली गोबर खाद का प्रबंध करें. 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर खाद की मात्र पूरे खेत में अच्छी प्रकार बिखेड़कर मिला दें. यह खाद भूमि की जलधारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाती है. फूलगोभी की फसल में पत्ती खाने वाली कीट डायमंड बैक मॉथ की निगरानी करें. इस कीट के पिल्लू फूलगोभी की मध्यवाली पत्तियों तथा सिरवाले भाग को अधिक क्षति पहुंचाती है. शुरुआती अवस्था में यह पिल्लू पत्तियों की निचली सतह में सुरंग बनाकर एवं उसके अन्दर पत्तियों काे खाती है. इस कीट से बचाव हेतु स्पेनोसेड 48 ईसी दवा एक मिली प्रति 4 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. खड़ी फसलों एवं सब्जियों की नर्सरी जैसे बैगन, टमाटर तथा मिर्च में लाही, सफेद मक्खी व चूसक कीड़ों की निगरानी करें. ये कीट विषाणु जनित रोग के लिए वाहक का काम करते हैं. रोग के विस्तार से बचाव के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड दवा का 0.3 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर छिड़काव करें.

Samastipur News: Cauliflower Varieties: Kanshi Kunwari and Pusa Meghna will become rich: गोभी इन किस्मों को लगाएं किसान

बैगन, टमाटर एवं मिर्च की नर्सरी से खर–पतवार निकाल दें. फूलगोभी की पूसा अगहनी,पूसी, पटना मेन, पूसा सिन्थेटिक-1, पूसा शुभ्रा, पूसा शरद, पूसा मेधना, काशी कुंवारी एवं अर्ली स्नोवॉल आदि किस्मों की रोपाई करें. फूलगोभी की पिछात किस्मों जैसे माघी, स्नोकिंग, पूसा स्नोकिंग-., पूसा-2, पूसा स्नोवॉल-16, पूसा स्नोवॉल के-1 की नर्सरी में बोआई के लिए खेत की तैयारी शुरु करें. पत्तागोभी की प्राइड ऑफ इण्डिया, गोल्डेन एकर, पूसा मुक्ता, पूसा अगेती तथा अर्ली डंम हेड किस्मों की बुआई नर्सरी में करें. सब्जियों की नर्सरी में लाही, सफेद मक्खी व चूसक कीड़ों की निगरानी करें. ये कीट विषाणु जनित रोग के लिए वाहक का काम करते हैं. इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड दवा का 0.3 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव मौसम साफ रहने पर करें.मिर्च की फसल में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें, उसके बाद इमिडाक्लोप्रिड एक मिली प्रति तीन लीटर पानी की दर घोल बनाकर छिड़काव मौसम साफ रहने पर करें.

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