शौर्य गाथा दिवस सप्ताह रथ काे मंत्री ने किया रवाना

मधुपुर. शहर के बेलपाड़ा के कोर्ट मोड स्थित आंबेडकर प्रतिमा स्थल से बुधवार को नववर्ष के अवसर पर शौर्य गाथा दिवस के सात दिवसीय जागरुकता रथ को प्रदेश के अल्पसंख्यक

By Prabhat Khabar News Desk | January 1, 2025 9:26 PM

मधुपुर. शहर के बेलपाड़ा के कोर्ट मोड स्थित आंबेडकर प्रतिमा स्थल से बुधवार को नववर्ष के अवसर पर शौर्य गाथा दिवस के सात दिवसीय जागरुकता रथ को प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण सह जल संसाधन मंत्री हफीजुल हसन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. उक्त रथ भगवानपुर, सलैया, नवापतरो, बियाहीगढ़ा, माधोपुर, घसको, बलनाडीह, रुपाबाद व संघरा गांव में ग्रामीणों को बाबा साहेब के बारे में जागरूक किया जासेगा. मंत्री हसन ने डाॅ आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. कहा कि देश में फिरकापरस्त लोगों द्वारा संविधान निर्माता डाॅ भीमराव आंबेडकर को अपमानित करने का काम कर रहे है. कहा कि 1 जनवरी 1818 को महाराष्ट्र के पुणे के पास स्थित भीमा नदी के किनारे हुए संघर्ष में सैनिकों की सेना को शिकस्त दी थी. संतोष बौद्ध ने कहा कि हम पेशवा शासन में महार समुदाय की दयनीय स्थिति को देखते है. पेशवा सरकार में महारों को सार्वजनिक स्थलों पर घड़ा व झाड़ू बांधकर चलने की मजबूरी थी, ताकि उनकी थूक और पैरों के निशान सार्वजनिक स्थानों को अपवित्र न कर सकें. इस अत्याचार के खिलाफ महार समुदाय ने बगावत की और पेशवा की विशाल सेना को हराया. यह विजय दलितों के आत्म-सम्मान की लड़ाई की एक मील का पत्थर बन गयी. संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर की प्रेरणा के रूप में भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस ने डॉ भीमराव आंबेडकर को प्रेरित किया. महार जाति के लोग उस समय मनुस्मृति कानून लागू था, जिससे परेशान होने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी नामक सासन से मिलकर महायुद्ध हुआ था. बाबा साहेब डाॅ भीमराव आंबेडकर ने कहा कि यह हमारा शान है, इस महाराष्ट्र के पुनः भीमा कोरेगांव आदों के रूप में सदैव जीवित शौर्य चक्र दिवस हम सभी को मनाना है. कहा कि महार जाति के लोग देश में हर लड़ाई अवल रहा है. लड़ाई में कभी नहीं झुका जब आत्म सम्मान रक्षा करने वाले बात आए तब तब नही झुकेंगे. मौके पर भीम आर्मी के प्रदेश संगठन प्रभारी राजेश कुमार दास, कुंदन भगत, प्रकाश दास, राजेंद्र दास, इंद्राणी देवी, अर्जुन दास, बृज नंदन दास, मराजु, गंगा दास, हलिम अंसारी, पंकज दास, बबलू दास, किशोर दास, राजू दास, शिबू दास, राजीव दास, दिलीप दास आदि मौजूद थे.

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