सप्तमी पर नवपत्रिका की पूजा कर मां दुर्गा की कर रहे उपासना

ठाकुरगंज. नगर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी दुर्गा पूजा की धूम है. संपूर्ण इलाका मां के जयकारे से गूंज रहा है. जगह-जगह सजे भव्य पंडालों में स्थापित मां की

By Prabhat Khabar News Desk | October 10, 2024 7:47 PM

ठाकुरगंज. नगर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी दुर्गा पूजा की धूम है. संपूर्ण इलाका मां के जयकारे से गूंज रहा है. जगह-जगह सजे भव्य पंडालों में स्थापित मां की प्रतिमा की पूजा व दर्शन के लिए हजारों हजार की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. ठाकुरगंज शहर स्थित विभिन्न दुर्गा पंडालों में धार्मिक कार्यक्रम चल रहा है. जिससे क्षेत्र दुर्गा मां की भक्ति में सराबोर दिख रहा है. सभी पूजा पंडाल में अष्टमी तिथि के सुबह से लेकर देर रात तक आकर्षक साज-सज्जा व कृत्रिम रोशनी में मां के दर्शन के लिए सड़कों पर उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ से उत्साह का वातावरण बना हुआ है. भीड़ को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न थाना क्षेत्र के थानाध्यक्ष के द्वारा लगातार गश्त करवाई जा रही है. अन्य चौक-चौराहों पर भी पुलिस बल की व्यापक व्यवस्था की गई थी. पूजा समिति के लोगों के द्वारा विशेष सतर्कता बरती जा रही है. जिले में 60 से भी अधिक जगहों पर दुर्गापूजा का आयोजन किया गया हैं.

सप्तमी पर हुई नवपत्रिका की पूजा

इसके पूर्व गुरुवार सुबह सप्तमी के दिन नव पत्रिका यानी नौ तरह की पत्तियों से मिल कर बनाए गए गुच्छे की पूजा कर दुर्गा का आह्वान किया गया. इन नौ पत्तों को दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है. नव पत्रिका को सूर्योदय से पहले गंगा या किसी पवित्र नदी या तालाब के पानी से स्नान कराया जाता है इसे महास्नान कहा जाता है. इस दौरान पंडितों ने बताया की नव पत्रिका का इस्तेमाल दुर्गा पूजा में ही होता है और इसे महासप्तमी के दिन पूजा पंडाल में रखा जाता है. नौ पत्रिका तैयार करने में केला, कच्ची हल्दी, जौ, बेल पत्र, अनार, अशोक, अरूम और धान के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. हर एक पत्ते को मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है. स्नान के बाद नव पत्रिका को लाल पाट की साड़ी पहनाई गई. मान्यता है कि नवपत्रिका को नई नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया इसके बाद इसे मां दुर्गा की प्रतिमा पंडाल में रखा गया. मां दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद षोडशोपचार पूजा की गई. वहीं नव पत्रिका को पूजा के स्थान पर ले जाकर चंदन और फूल अर्पित किया गया. इसके बाद उसे गणेश प्रतिमा के दाहिने ओर रखा गया और अंत में मां दुर्गा की महाआरती के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया.

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