कोलकाता.
कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई में आसन्न नेतृत्व परिवर्तन पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी करीब से नजर रख रही है, क्योंकि इससे 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य के राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं.राष्ट्रीय स्तर पर तीनों दल विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन कांग्रेस-वाम गठबंधन पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस व मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों का विरोध करता है.अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) में पश्चिम बंगाल के प्रभारी व पार्टी महासचिव गुलाम अहमद मीर ने मंगलवार को बताया कि तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ मुखर रहे अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और वर्तमान में राज्य इकाई के नये प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है.मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर से पांच बार के सांसद रहे चौधरी तृणमूल उम्मीदवार व क्रिकेटर यूसुफ पठान से हार गये थे. तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया : हम स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं. तृणमूल विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा है, लेकिन राज्य में अधीर रंजन चौधरी के विरोध के कारण गठबंधन नहीं हो सका.
माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा : अगला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौन बनेगा, यह उनका आंतरिक मामला है. अधीर चौधरी ने वामदलों के साथ मिलकर बंगाल में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. वह राज्य में तृणमूल व भाजपा, दोनों का विरोध करने वालों में प्रमुख थे. हालांकि, वाममोर्चा के एक अन्य नेता ने चिंता व्यक्त की कि यदि कांग्रेस बंगाल में तृणमूल के करीब जाती है, तो मौजूदा वाम-कांग्रेस गठबंधन खतरे में पड़ सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है