ग्रामोलोक के बहाने फिजां में घुली काव्य की मिठास
सुखसेना में सजी मैथिली कवियों की महफिल
बीकोठी(पूर्णिया). साहित्य अकादमी के सौजन्य से जिले के बडहराकोठी प्रखंड के सुखसेना गांव में मैथिली के नामचीन कवियों की महफिल सजी. मैथिली काव्य धारा जब बहनी शुरू हुई तो सभी ने उसमें डुबकी लगायी. काव्य के मधुर रस का सभी ने रसपान किया. यह अवसर सुखसेना साहित्य परिषद की ओर से उपलब्ध कराया गया. इस मैथिली काव्य गोष्ठी को ग्रामोलोक का नाम दिया गया. इस मौके पर बिहार के कई चर्चित कवियों ने अपनी रचनाओं से दर्शकों को भाव विभोर कर दिया. कवियित्री नमिता झा ने मिथिला के गौरवपूर्ण इतिहास को अपनी कविता में पिरोया. वही कवि ललित रंग ने वैदेही सीता और भगवान श्रीराम के स्वयंवर को काव्य का रूप दिया. इस दौरान गीतानाथ झा दमन ने सामाजिक कुप्रथा पर तो अरुण झा ने नारी सशक्तिकरण पर महफिल जमायी. वही सहरसा के कवि रजनीश कुमार, पूर्णिया से आए किशोर कुमार, प्रेमानंद झा ,अजनबी डाक्टर के के झा समेत कई कवियों ने भी काव्य पाठ किया. आयोजक मंडल के अध्यक्ष अनिल कुमार झा, नृपेश चंद्र झा एवं भास्कर झा ने बताया कि साहित्य अकादमी नई दिल्ली के सौजन्य से सुखसेना साहित्य परिषद द्वारा पहली बार इस तरह का बड़ा कार्यक्रम हो रहा है. ग्रामोलोक में इस तरह का कार्यक्रम पूर्णिया में कभी नहीं हुआ है. सुखसेना मिथिलांचल की पवित्र धरती रही है. यहां का पुराना इतिहास रहा है. इस गांव में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन काफी महत्व रखता है. हमारी मिथिला की संस्कृति काफी गौरवपूर्ण रही है. वहीं रजनीश कुमार ने कहा कि मैथिली मां के समान है. यह काफी प्राचीन और मधुर भाषा है. विदेश में भी इसकी खूब चर्चा होती है. प्रसिद्ध लेखक ग्रियर्सन ने भी मैथिली और मिथिला के इतिहास पर अपनी पुस्तक लिखी है. इस तरह के कार्यक्रम से मैथिली का मान सम्मान बढा है. उन्होंने कवियों से आग्रह किया कि वे लोग मैथिली पर अपनी चर्चा जारी रखें. वही सुखसेना संस्कृत कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अर्जुन झा ने इस तरह के आयोजन की काफी प्रशंसा की. इस मौके पर मुख्य रूप से डीपीओ प्रेम शंकर झा, प्रोफेसर सुबोध झा, चंद्रानंदन झा समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे. कार्यक्रम का समापन मिथिला गीत जय-जय भैरव के साथ हुआ.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है