ठाकुरगंज से पौआखाली निर्माणाधीन रेल लाइन का डीआरएम ने किया निरीक्षण, दिये कई निर्देश

फोटो 16 ट्रॉली से रेल लाइन का जायजा लेते डीआरएम व अन्य अधिकारी. प्रतिनिधि, ठाकुरगंज कटिहार डीआरएम सुरेंद्र कुमार ने गुरुवार को ठाकुरगंज से पौआखाली तक निर्माणाधीन नई रेल लाइन

By Prabhat Khabar News Desk | April 25, 2024 7:43 PM

फोटो 16 ट्रॉली से रेल लाइन का जायजा लेते डीआरएम व अन्य अधिकारी.

प्रतिनिधि, ठाकुरगंज

कटिहार डीआरएम सुरेंद्र कुमार ने गुरुवार को ठाकुरगंज से पौआखाली तक निर्माणाधीन नई रेल लाइन का ट्रॉली से निरीक्षण किया. 29 अप्रैल को प्रस्तावित सीआरएस निरीक्षण के पहले कटिहार रेल मंडल के डीआरएम सुरेंद्र कुमार का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बताते चले भारत नेपाल सीमा पर बसे किशनगंज और अररिया जिले में दूरदराज के इलाकों के हजारों परिवार गलगलिया-अररिया रेल खंड पर ट्रेन सेवाओं के उद्घाटन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह उनके दशकों पुराने सपनों को साकार करेगा और उनके जिंदगी को पूरी तरह से बदल देगा. इस रेलखंड के एक हिस्से ठाकुरगंज से पौआखाली तक के 22 किमी लम्बे रेलखंड पर कार्य पूर्ण हो चुका है. इस दौरान डीआरएम ने काम की गति, सुरक्षा अन्य बिंदुओं पर जांच की. रेलवे के वरीय अधिकारियों की मानें तो सीआरएस सेफ्टी प्वाइंट ऑफ व्यू से जांच करेंगे. उनकी जांच और संतुष्टि के बाद ही इस नई रेल लाइन पर ट्रेनों का परिचालन शुरू हाेगा. गुरुवार के निरीक्षण में डीआरएम के साथ कई अधिकारी भी आए थे. पौआखाली से निरीक्षण के बाद वे सड़क मार्ग से अररिया की तरफ चले गए. बता दे गलगलिया से अररिया तक कुल 106 किलोमीटर नई रेल लाइन का कार्य तेजी से चल रहा है, बताते चले इस प्रोजेक्ट को मार्च 2011 तक इसे पूरा कर लिया जाना था. रेलवे बोर्ड के डॉक्यूमेंट्स के अनुसार इस प्रोजेक्ट की लागत 530 करोड़ रुपए थी, जो अब बढ़कर 2145 करोड़ रुपए हो गई है. हालांकि इस नई रेल लाइन के निर्माण के बाद इस पिछड़े इलाके के विकास के नए दरवाजे तो खुलेंगे ही वही इस परियोजना के पूरा हो जाने से नेपाल सीमा से लगे भारतीय क्षेत्र में विकास के साथ आंतरिक सुरक्षा भी मजबूत होगी बताते चले अररिया-गलगलिया रेल लाइन सीमा सुरक्षा को देखते हुए भारत के लिए महत्वपूर्ण रेल परियोजना में से एक है. इस नए रेल लाइन के 107 किमी में सबसे बड़ा नया स्टेशन पौआखाली होगा.

राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजना में शामिल

दिवंगत केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सुपौल-अररिया- गलगलिया रेल लाइन को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजना में शामिल किया था. इस रेल परियोजना के तहत सुपौल-अररिया के बीच 12 नए रेलवे स्टेशन और गलगलिया से अररिया के बीच भी 12 स्टेशन का निर्माण होना है. इन दोनों परियोजना के पूर्ण होने के बाद सीमांचल और कोसी का यह इलाका बड़े महानगरों से जुड़ जायेगा. यह नई रेललाइन नेपाल की सीमा के समानांतर गुजरेगी. अररिया-गलगलिया रेल लाइन से जुड़ने के कारण पश्चिम बंगाल से कोसी क्षेत्र और सरायगढ़ के रास्ते मिथिलांचल का सीधे जुड़ाव हो जायेगा.

क्यों जरुरी है अररिया-गलगलिया रेल लाइन : बरौनी-कटिहार-गुवाहाटी रेलमार्ग को वैकल्पिक मार्ग क्यों चाहिए, इसे पिछले कुछ वर्षो में हुई दो घटनाओं से समझा जा सकता है.

पहली घटना

पहली घटना सितंबर 2011 की है. कटिहार-न्यू जलपाईगुड़ी मेन लाइन पर मांगुरजान स्टेशन के पास एक पेट्रोलियम पदार्थ ले जा रही मालगाड़ी के 20 डिब्बों में आग लग गई थी. उस दौरान लंबे समय तक राजधानी सहित अन्य सभी ट्रेनों को वैकल्पिक रूट सिलीगुड़ी जंक्शन ठाकुरगंज अलुआबाड़ी रोड होकर डायवर्ट किया गया था. अगर, वैकल्पिक रूट न होता, तो पूरे भारत का रेल संपर्क पूर्वोत्तर भारत से टूटा रहता. इसे संयोग ही कहा जाएगा कि तब सिलीगुड़ी जंक्शन-ठाकुरगंज-अलुआबाड़ी रोड सेक्शन का आमान परिवर्तन कुछ महीने पहले ही पूरा हो गया

दूसरी घटना

दूसरी घटना वर्ष अगस्त 2017 की है, जब भीषण बाढ़ के कारण कटिहार-न्यू जलपाईगुड़ी सेक्शन के बीच तेलता ब्रिज संख्या 133 महानंदा नदी में आई बाढ़ से बह गया था. ब्रिज के नीचे की सतह पूरी तरह से कट गई थी और रेल की पटरियां हवा में लहराने लगी थीं. इससे ट्रेनों का परिचालन 23 दिनों तक बाधित रहा था. इससे रेलवे को करीब 300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. इस दौरान पूर्वोत्तर भारत से रेल संपर्क भी पूरी तरह टूट गया था. जानकार बताते हैं कि अगर उस वक्त अररिया गलगलिया रूट भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होता, तो ट्रेनें कटिहार, पूर्णिया, अररिया, ठाकुरगंज और सिलीगुड़ी जंक्शन के रास्ते पूर्वोत्तर तक आवागमन कर सकती थीं. उस दौरान बड़ी शिद्दत से एक वैकल्पिक रूट की जरूरत महसूस की गई. ऐसे में 10 साल पहले स्वीकृत होने के बाद ठंडे बस्ते में पड़ी इस महत्वपूर्ण परियोजना पर रेलवे ने गंभीरता से सोचना शुरू किया और साल 2017 से इस पर काम शुरू हुआ.

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