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उफनायी नुना नदी, लोगो के घरों में घुसा पानी

फोटो:38-सड़क पार करने के लिए बिछाया गया रेलवे का सरिया.

फोटो:39-गांव व सड़कों पर बह रहा बाढ़ का पानी.

प्रतिनिधि, सिकटी

नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार मूसलाधार वर्षा के

फोटो:38-सड़क पार करने के लिए बिछाया गया रेलवे का सरिया.

फोटो:39-गांव व सड़कों पर बह रहा बाढ़ का पानी.

प्रतिनिधि, सिकटी

नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार मूसलाधार वर्षा के कारण रविवार की संध्या अचानक नुना नदी में तीन से चार फीट पानी में वृद्धि होने के कारण उफनाई नुना नदी से दर्जनों गांव जलमग्न हो गये. पानी के स्तर में लगातार वृद्धि से सिंघिया व मस्जिद टोला सिंघिया में दर्ज़नों घरों में पांच से छह फीट पानी भर गया. रेलवे लाइन में बने अंडरपास भी ध्वस्त होने के कगार पर है. जानकारी देते हुए पररिया पंचायत के वार्ड सदस्य राजेश यादव ने बताया कि पानी के लगातार उतार चढ़ाव से लोगो की जान सांसत में है. रेलवे लाइन के साथ पूर्व दिशा की ओर बढ़ रहे पानी जो 2017 में मनरेगा से बनाया गया गांव की सुरक्षा बांध जो 400 फीट लंबाई में था, उसका आधा हिस्सा जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे रेलवे लाइन के समानांतर बह रहे पानी के कारण बांध के क्षतिग्रस्त होने से महादलित टोला सहित दूसरे टोलों में घरों में पांच से छह फीट पानी घुस जाने के कारण लोग विस्थापित होकर दूसरे जगह जाने को मजबूर हो गये. इस कटाव में आधा दर्जन परिवारों के घर ध्वस्त हो गये. पक्की सड़क भी कटाव की जद में आने से ध्वस्त हो गये. आज इन विस्थापित परिवारों के समक्ष यक्ष प्रश्न है कि परिजनों का भरण पोषण हो तो कैसे हों. घरों में रखा अनाज व बर्तन भी निकालने का मौका भी नहीं मिला. इतना हीं नहीं सालगुडी, कचना, बांसबाडी, सिघिया, औलाबाडी के दर्जनों घरों में नूना नदी का पानी घुस गया है. सिंघिया गांव के फरमान अली टोला में नूना नदी का सिंघिया तटबंध ध्वस्त हो गया है. कचना गांव से खोरागाछ, अंसारी टोला व औलाबाड़ी जाने वाली सड़क पर दो से तीन फीट पानी बह रहा है. सिघिया गांव की सभी सड़कों पर दो से तीन फीट पानी वह रहा है. बांसवाडी गांव के सभी घरों में कमर भर पानी रहने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

तीन बार आ चुका है नुना में बाढ़

नुना नदी में अभी तक चार बार बाढ़ आ चुकी है. इस बार सबसे ज्यादा पानी आया है. जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस बाढ़ से मवेशियों को सबसे अधिक परेशानी होती है. बाढ़ प्रभावित गांव के लोग अपने-अपने मवेशियों को आस पास के गांव में अपने अपने स्वजनों के यहां रख आये हैं. लगातार बाढ़ आने से लोगों ने जो अपने खेतों में धान का बीचड़ा लगाया था, वह भी बर्बाद हो गया है. जिससे खेती पर असर पड़ेगा. इतना हीं नहीं चारों तरफ बाढ़ का पानी फैलने से लोगों को पीने के लिये स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है, जिससे लोग बीमार हो रहे हैं.

दहगामा व पड़रिया में बनाये गये हैं आश्रय स्थल

इस मामले में सीओ मनीष कुमार चौधरी की माने तो उनका कहना है कि नूना नदी में जितनी तेजी से पानी आता है, उतनी ही तेजी में निकल भी जाता है. बाढ़ प्रभावित गांव में लोगों को ज्यादा परेशानी है तो वहां के लोग दहगामा व पड़रिया में बनाये गये बाढ़ आश्रय स्थल में शरण ले सकते हैं. अभी तक एक भी परिवार बाढ़ आश्रय स्थल में शरण लेने नहीं आये हैं. यहां रहने वाले परिवारों के लिए भोजन की व्यवस्था किये जाने का प्रावधान है.

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