गिरफ्तारी से बचने के लिए सुसर को हाइकोर्ट से भी नहीं मिली राहत कोलकाता. दामाद को जातिसूचक गाली देना ससुर को महंगा पड़ गया. ससुर की गाली से नाराज दामाद सीधे पुलिस के पास पहुंचा और उसके खिलाफ अनुसूचित जनजाति की धारा के तहत जाति का उल्लेख करते हुए अपमानजनक शब्द कहने का मामला कर दिया. पुलिस ने दामाद के आरोप पर एफआइआर दर्ज कर चार्जशीट भी पेश कर दिया. निचली अदालत में मामला भी शुरू हुआ था. ससुर ने अदालत के समन की उपेक्षा की थी, जिस पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया. इसके खिलाफ ससुर ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. लेकिन कलकत्ता हाइकोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया. मामला उत्तर 24 परगना जिले के जगदल इलाके का है. ससुर दूसरे राज्य का निवासी है. दामाद का आरोप है कि साल 2019 में उसकी शादी हुई थी. रीति रिवाज से शादी कराने के नाम पर उसकी पत्नी को 14 दिसबंर को वे लोग ससुराल पंजाब लेकर चले गये. 10 दिन बाद जब वह अपनी पत्नी को लाने गया, तो उसके साथ मारपीट की गयी. इतना ही नहीं, उसे जाति सूचक संबोधन के साथ गाली दी गयी. चार मार्च, 2020 को जब वह दोबारा अपनी पत्नी को लेने गया, तो वही हरकत की गयी. लौटकर उसने जगदल थाने में ससुर के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी. जांच के बाद पुलिस ने 18 मई को बारासात अदालत में चार्जशीट दायर कर दी. कई बार समन जारी करने के बाद अदालत में ससुर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. सुसर ने दामाद के खिलाफ हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए एफआइआर को खारिज करने की अपील की. हाइकोर्ट ने कहा है कि पुलिस ने अनुसूचित जन जाति कानून के तहत मामला दर्ज किया है. हाइकोर्ट निचली अदालत के निर्देश में हस्तक्षेप नहीं करेगा. इसके साथ ही कोर्ट ने निचली अदालत का निर्देश मानते हुए ससुर को न्याय प्रक्रिया में शामिल होने का कहा है.
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