लोहरदगा, गोपी कुंवर : लोहरदगा की पहचान बॉक्साइट नगरी के रूप में भी है. यहां बड़े पैमाने पर बॉक्साइट का कारोबार होता है. कुछ वैध तो अधिकतर अवैध. इसके अवैध धंधे में शामिल लोग मालामाल हो रहे हैं. कभी फर्जी नंबर प्लेट लगाकर अवैध बॉक्साइट की ढुलाई की जाती है तो कभी एक ही चालान का इस्तेमाल कई बार किया जाता है. वन क्षेत्र से अवैध खनन कर बॉक्साइट का कारोबार भी धड़ल्ले से हो रहा है. लेकिन कार्रवाई के नाम पर नतीजा शून्य है. लोहरदगा में चोरी के ट्रकों से भी बॉक्साइट की अवैध ढुलाई हो रही है. पकड़े जाने पर लोग ट्रक भी नहीं छुड़वाते हैं. वन विभाग परिसर में ऐसे वाहनों की ढेर लगी है.
लोहरदगा व गुमला में धड़ल्ले से बॉक्साइट डंपिंग यार्ड
बॉक्साइट के अवैध धंधे में धन को देखते हुए अब लोहरदगा व गुमला जिले में धड़ल्ले से बॉक्साइट डंपिंग यार्ड बना दिये गये हैं, जहां अवैध तरीके से बॉक्साइट लाकर जमा किया जा रहा है और किसी और के चालान से उसे वैध किया जा रहा है. अभी हाल में ही खनन पदाधिकारी ने पीजीएस मिनरल्स के साइडिंग से निकले एक ट्रक को पकड़ा था. जिसमें फर्जी चालान था. यह बॉक्साइट लेकर रांची के तुपुदाना जा रहा था. उन्होंने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. वहीं साइडिंग को सस्पेंड कर दिया. लेकिन पीएसजी मिनरल्स अब दूसरे की साइडिंग में बॉक्साइट गिरा रहा है. यह सिलसिला अब भी जारी है. वन क्षेत्र से अवैध खनन कर बॉक्साइट का लगातार भंडारण किया जा रहा है.
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शहर के बीचों-बीच बॉक्साइट डंपिंग यार्ड
लोहरदगा एक ऐसा अद्भुत जिला है, जहां शहर के बीचों-बीच हिंडाल्को कंपनी ने बॉक्साइट डंपिंग यार्ड बना दिया है. इसका नतीजा है कि लोहरदगा शहर बुरी तरह प्रदूषित हो गया है. डंपिंग यार्ड के कारण उस इलाके का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. कुएं, बोरिंग सूख गये हैं. बॉक्साइट लोडिंग-अनलोडिंग की आवाज से लोग रात में सो नहीं पाते हैं. इस बॉक्साइट डंपिंग यार्ड में प्रतिदिन लगभग 47 हजार टन बॉक्साइट विभिन्न बॉक्साइट खदानों से रोपवे और ट्रक से आता है. साल भर में 17 लाख 33 हजार 750 टन बॉक्साइट इस डंपिंग यार्ड में गिरता है. इसकी गड़गड़ाहट व धूल से पूरा इलाका त्रस्त है. कंपनी पहले शहर में बॉक्साइट ट्रकों के चलने से उड़ने वाली धूल को रोकने के लिए पानी का छिड़काव कराती थी, लेकिन अब वह भी बंद हो गया है. जबकि तमाम बॉक्साइट ट्रक लोहरदगा शहर से ही गुजरते हैं. कंपनी के खिलाफ स्थानीय नेता आवाज नहीं उठाते हैं क्योंकि कंपनी ने अधिकांश लोगों को किसी न किसी तरीके से कृतार्थ कर रखा है.
ध्वनि व वायु प्रदूषण बीमारियों का कारण
आईएमए के जिलाध्यक्ष डॉ गणेश प्रसाद ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण का सबसे बुरा प्रभाव बच्चों व वृद्धों पर पड़ रहा है. वायु तथा ध्वनि प्रदूषण चिड़चिड़ापन, बहरापन, ब्लड प्रेशर, कैंसर, तनाव, अनिद्रा जैसी बीमारी को जन्म देता है. अत्यधिक प्रदूषण हृदयाघात का कारण बन सकता है.
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विभाग लगातार कर रहा है जांच : डीएफओ
लोहरदगा के डीएफओ अरविंद कुमार ने पूछने पर बताया कि कागजात की कमी के कारण कई ट्रक जब्त किये गये हैं. वन विभाग लगातार जांच कर रहा है.