लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की मुश्किलें बढ़ सकती है. दरअसल, एक ओर विपक्षी पार्टियां लखीमपुर हिंसा पर टेनी के इस्तीफा की मांग कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर उनके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित मामले में जल्द ही फैसला आ सकता है.
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को लेकर विवादों के बीच, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को 17 साल पुराने हत्या के एक मामले में उन्हें बरी किए जाने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार है. मिश्रा तथा अन्य के खिलाफ 2000 में लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में 24 वर्षीय युवक प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या किए जाने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था.
लखीमपुर खीरी की अपर सत्र न्यायालय ने 2004 में सुबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. स्थानीय अदालत के इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी. वहीं, मृतक के परिवार ने अलग से पुनरीक्षण याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने 12 मार्च 2018 को इस मामले में दाखिल अपील और याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था.
हालांकि आदेश सुनाये जाने से पहले इन याचिकाओं को यह कहते हुए फिर से सूचीबद्ध किया गया कि इनमें और सुनवाई करने की जरूरत है. उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस मामले को पिछली बार 25 फरवरी 2020 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. अजय मिश्रा तथा अन्य आरोपियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नागेंद्र मोहन पैरवी कर रहे हैं. वहीं, सलिल कुमार श्रीवास्तव और सुशील कुमार सिंह पीड़ित परिवार के वकील हैं.लख
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