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UP News: यशस्वी का शतक लगते ही कांवर लेकर देवघर रवाना हुए पिता, कहा- बेटे ने देश का नाम रोशन किया

UP News: यशस्वी का शतक लगते ही पिता ने कांवर लेकर देवघर रवाना हो गए. सुल्तानगंज से देवघर की दूरी करीब 105 किलोमीटर है. उन्होंने कहा कि गुरुवार रात को ही मुंबई से लौटे हैं. अब बेटे के उज्जवल भविष्य की कामना के लिए वह बाबा का दर्शन करने जा रहे हैं.

लखनऊ. वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने पदार्पण टेस्ट मैच में भदोही के सुरियावां के यशस्वी जायसवाल ने शतक लगाया. शतक जमाते ही नगर के लोग खुशी से उछल पड़े. यशस्वी के पिता भूपेंद्र जायसवाल अपने बेटे के शतक के बाद कांवर यात्रा के लिए निकल गए हैं. बेहतर ओपनिंग बल्लेबाज के रूप में उभरे बेटे की सफलता पर पिता भूपेंद्र जायसवाल शुक्रवार को कांवर लेकर सुल्तानगंज (भागलपुर, बिहार) के लिए रवाना हो गए. उन्होंने कहा कि वह भगवान शंकर से मांगेगे कि उनका बेटा दोहरा शतक लगाए. यशस्वी के पिता गंगाजल भरने सुल्तानगंज पहुंचे हुए है. वहां से गंगाजल लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम (देवघर, झारखंड) की पदयात्रा शुरू करेंगे.

उत्तर प्रदेश का नाम रोशन किया यशस्वी

सुल्तानगंज से देवघर की दूरी करीब 105 किलोमीटर है. उन्होंने कहा कि गुरुवार रात को ही मुंबई से लौटे हैं. अब बेटे के उज्जवल भविष्य की कामना के लिए वह बाबा का दर्शन करने जा रहे हैं. यशस्वी ने पिता ने कहा कि भदोही ही नहीं, उत्तर प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है. डोमिनिका के विंडसार में खेले जा रहे भारत और वेस्टइंडीज के बीच पहले टेस्ट मैच में यशस्वी ने 215 गेंदों में 11 चौकों की मदद से अपना पहला शतक पूरा किया. इस उपलब्धि के बाद यशस्वी ने अपने पहले ही टेस्ट मैच पहला शतक लगाने वाले 17वें भारतीय खिलाड़ी भी बन गए हैं.

दोहरे शतक से चूक गए यशस्वी

यशस्वी का जन्म उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में हुआ था. यशस्वी मुंबई के लिए खेलते हैं. हालांकि, उनके माता-पिता भदोही में ही रहते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भूपेंद्र जायसवाल ने कहा कि हमें बहुत खुशी हुई. मैं चाहता हूं कि बेटा दोहरा शतक लगाए. मैं भोला बाबा से यही मांगूगा कि बेटा दोहरा शतक लगाए और उसकी मेहनत सफल हो जाए. हालांकि, भूपेंद्र की मन्नत पूरी नहीं हुई, क्योंकि यशस्वी जायसवाल 171 रन के स्कोर पर आउट हो गए. यशस्वी दोहरे शतक से चूक गए.

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यशस्वी ने 16 चौके और एक छक्का लगाया

यशस्वी के पिता की इच्छा थी कि उनके बेटे दोहरा शतक लगाएंगे. हालांकि, यशस्वी अपने पिता की इच्छा पूरी नहीं कर पाए. लेकिन उन्होंने इस पारी में कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए. 387 गेंदों का सामना करते हुए यशस्वी ने 16 चौके और एक छक्का लगाया. यशस्वी ने डेब्यू टेस्ट में भारत के लिए तीसरी बड़ी पारी खेलने वाले बल्लेबाज बन गए. इस मामले में शिखर धवन और रोहित शर्मा उनसे आगे हैं. धवन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2013 में मोहाली के मैदान पर 187 रन बनाए थे. वहीं, रोहित ने 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ ही 177 रन की पारी खेली थी.

पांच साल में 49 सेंचुरी, अंडर-19 टीम में बनाई जगह

यशस्वी ने 14 साल की उम्र में मुंबई की अंडर-19 टीम में जगह बनाई. यशस्वी ने 5 साल में ही 49 शतक लगा दिए और भारत की अंडर-19 टीम में भी शामिल हुए. लेकिन, शुरुआती 2 मैचों में यशस्वी 15 और एक रन ही बना सके. जिस कारण उन्हें प्लेइंग-11 से ड्रॉप कर दिया गया. यहां तक कि सितंबर 2019 में हुए अंडर-19 एशिया कप में उन्हें मौका तक नहीं मिला. यशस्वी ने अंडर-19 के बाद मुंबई की सीनियर टीम में भी जगह बनाई. उन्होंने 50 ओवर के घरेलू टूर्नामेंट विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई से ओपनिंग की और पहले ही मैच में 113 रन बना दिए.

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रणजी में लगातार 3 शतक लगाई

2021-22 की रणजी ट्रॉफी में यशस्वी को मुंबई से 3 मैच खेलने का मौका मिला. ये मैच क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल थे. यशस्वी ने 3 शतक और एक फिफ्टी लगाई. उत्तर प्रदेश के खिलाफ सेमीफाइनल में उन्होंने दोनों ही पारियों में शतक लगाए और टीम को फाइनल में पहुंचाया. यशस्वी ने 83 की औसत से 498 रन बनाए और अपनी टीम के दूसरे टॉप स्कोरर रहे. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में यशस्वी ने अब तक 15 ही मैच खेले. इनमें वह 80.21 की औसत से 1845 रन बना चुके हैं. इनमें उन्होंने 9 शतक लगा दिए.

12 साल की उम्र में पैसे के लिए यशस्वी को बेचना पड़ा पानी पुरी

12 साल की उम्र में यशस्वी क्रिकेट खेलने के लिए उत्तर प्रदेश से मुंबई पहुंचे. भदोही जिले के सुरियावां गांव में आज भी उनका परिवार रहता है, उनके पिता भूपेंद्र पेंट की छोटी दुकान चलाते थे. यशस्वी शुरुआती 5-6 महीनों तक मुंबई में अपने रिश्तेदार संतोष के यहां रहे. घर छोटा होने के कारण संतोष ने यशस्वी को आजाद मैदान भिजवाया, जहां उन्हें 3 साल तक टेंट में रहना पड़ा. यशस्वी टेंट में सोते थे. इतना ही नहीं, यशस्वी को पैसे कमाने के लिए पानी पुरी भी बेचना पड़ा. इसके साथ ही दुधवाले के यहां सफाई भी करनी पड़ी. आजाद मैदान पर एक मैच के दौरान लोकल कोच ज्वाला सिंह ने उन्हें देखा और 2 साल तक ट्रेनिंग दी. यहीं से जूनियर क्रिकेट में यशस्वी का करियर शुरू हुआ.

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