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अतीक-अशरफ हत्याकांड: कौन हैं पूर्व चीफ जस्टिस डीबी भोसले, जिनके नेतृत्व में अब 5 सदस्यीय आयोग करेगा जांच

प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई खालिद रशीद अशरफ हत्याकांड की जांच कर रहा न्यायिक आयोग अब पूर्व पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबा साहेब भोसले के नेतृत्व में काम करेगा. आयोग में दो नए सदस्य शामिल किए गए हैं, जिसमें दिलीप बाबा साहेब को अब इसका अध्यक्ष बनाया गया है.

Lucknow: प्रयागराज के चर्चित अतीक अहमद और उसके भाई खालिद रशीद अशरफ हत्याकांड की जांच के लिए गठिन न्यायिक आयोग के अध्यक्ष अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबा साहेब भोसले होंगे. योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस प्रकरण में गठित तीन सदस्यीय आयोग में जिन दो नए सदस्यों को शामिल किया है, उनमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबा साहेब भोसले और झारखण्ड के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह हैं. वहीं इस न्यायिक आयोग को दिलीप बाबा साहेब भोसले लीड करेंगे.

महाराष्ट्र के निवासी हैं पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबा साहेब भोसले

दिलीप बाबा साहेब भोसले का जन्म 24 अक्तूबर 1956 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ. उनके पिता बाबा साहेब भोसले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. प्रारंभिक शिक्षा मुंबई से हासिल करने के बाद उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कालेज मुंबई से विधि स्नातक की उपाधि ली.

क्रिमिनल मामलों पर किया है काम

इसके बाद वह 11 अक्तूबर 1979 को वकील के रूप में एनरोल हुए और बार से जुड़ कर बांबे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की. यहां वे सिविल व क्रिमिनल मामलों पर काम करते हुए आपराधिक व संपत्ति कानूनों के विशेषज्ञ बने. वर्ष 1986 से 1998 तक वे हाईकोर्ट के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता ग्रुप-1 व सहायक सरकारी अधिवक्ता भी रहे. महाराष्ट्र राज्य कृषि निगम, वित्त निगम, कपास उत्पादन मार्केटिंग फेडरेशन सहित लगभग सभी निगमों के लिए हाईकोर्ट में प्रतिनिधि रहे.

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देश में बार काउंसिल के सबसे कम उम्र में बन चुके हैं सदस्य

वर्ष 1985 में उन्हें महाराष्ट्र व गोवा बार काउंसिल में सदस्य चुना गया, वे देश में किसी प्रदेश की बार काउंसिल के सबसे कम उम्र सदस्य बने. वर्ष 1987-88 में वे उपाध्यक्ष व 1993-94 में अध्यक्ष चुने गए. उन्हें 1998 में महाराष्ट्र और गोवा से बार काउंसिल ऑफ इंडिया का सदस्य चुना गया. दोनों बार काउंसिल में रहते हुए उन्हाेंने सभी वकीलों को बार काउंसिल चुनाव में वोट देने के अधिकार वापस दिलाया और लॉ ग्रेजुएट्स के लिए एनरोलमेंट से पहले ट्रेनिंग की व्यवस्था खत्म करवाई.

देश के कई हाई कोर्ट में रह चुके हैं जज

22 जनवरी 2001 को बांबे हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज बने और एक वर्ष बाद स्थायी जज बनाए गए. 6 जनवरी 2012 को कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए गए. यहां से करीब दो साल बाद 1 दिसंबर 2014 को हैदराबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए गए. 8 दिसंबर 2014 को उन्हाेंने वरिष्ठतम जज के रूप में कार्यभार ग्रहण किया. 7 मई 2015 को तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की हैदराबाद स्थित हाईकोर्ट में उन्हाेंने चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभाला.

इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 30 जुलाई 2016 को शपथ ग्रहण की. पूर्व चीफ जस्टिस भोसले को एंटी करप्शन यूनिट लोकपाल के सदस्य के रूप में लोकपाल अध्यक्ष जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने 27 मार्च 2019 को शपथ दिलाई थी. लोकपाल सदस्य को पांच साल के कार्यकाल या फिर उसके 70 साल की उम्र का होने तक के लिए नियुक्त किया जाता है. हालांकि 6 जनवरी 2020 में उन्होंने निजी कारणों से इस पद से इस्तीफा दे दिया.

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