Lucknow: रामचरितमानस पर विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में आए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को जहां चौतरफा विरोध झेलना पड़ रहा है और उनके खिलाफ राजधानी में एफआईआर दर्ज हुई है, वहीं अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने उनको लेकर बड़ा ऐलान किया है. राजू दास ने कहा है कि जो भी स्वामी प्रसाद मौर्य का सिर तन से जुदा करेगा, उसे वह 21 लाख रुपये का इनाम देंगे. राजू दास ने अपने ट्विटर हैंडल पर वीडियो पोस्ट करते हुए ये ऐलान किया है.
राजू दास ने कहा, ‘स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हाथी चले बाजार और कुत्ते भौंके हजार. साधु संतों और ब्राह्मणों को उसने कुत्ता कह दिया. इसके नाते हम अपील करते हैं और उनके ऊपर 21 लाख रुपये का इनाम घोषित करते हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य का जो भी सिर तन से जुदा करेगा, उसको हम 21 लाख रुपये का इनाम देंगे. उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ हम सरकार से मांग करते हैं कि यूपी में जिसने रामचरितमानस की प्रति जलाई है, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करे, नहीं तो हिंदू जनमानस खुद उनके ऊपर कार्रवाई करेगा.’
राजू दास ने कहा, ‘अभी तक अखिलेश यादव कह रहे थे कि वह किसी धर्म का अपमान नहीं करते. लेकिन, स्वामी प्रसाद मौर्य के जहरीले बोल के बावजूद उनका प्रमोशन किया गया. आपने स्वामी मौर्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और उन्हें महासचिव बना दिया. इस वजह से साधु संतों के बीच रोष है.’
— Raju Das Hanumangadhi Ayodhya (@rajudasji99) January 29, 2023
इस बीच स्वामी प्रसाद मौर्य के तेवर बरकरार हैं. उन्होंने राजू दास के बयान को लेकर सोमवार को ट्वीट किया कि हर असंभव कार्य को संभव करने का नौटंकी करने वाले एक धाम के बाबा की धूम मची है. आप कैसे बाबा हैं, जो सबसे सशक्त पीठ के महंत होने के बावजूद सिर तन से जुदा करने का सुपारी दे रहे हैं, श्राप देकर भी तो भस्म कर सकते थे. इस तरह 21 लाख रुपये भी बचता, असली चेहरा भी बेनकाब न होता.
इससे पहले मौर्य ने कहा कि वह धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करते रहेंगे, जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलता, उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा.
Also Read: UP Crime: गोरखनाथ मंदिर के सुरक्षाकर्मियों पर हमले के आरोपी अहमद मुर्तजा को फांसी की सजावहीं सपा प्रवक्ता जूही सिंह ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने से लेकर उस पर सवाल उठाने वालों को नसीहत दी है. उन्होंने सोमवार को कहा कि रामचरितमानस मर्यादा पुरषोत्तम राम का जीवन चित्रण है, तत्कालीन सामाजिक अन्याय भी ग्रंथ में उल्लेखित हैं, तपस्वी राम ने महिलाओं, हर शोषित, वंचित वर्ग पर अत्याचार का सहज, मुखर विरोध किया, मानस पाठ मंदिरों में ही नहीं घर घर होता है, विरोध कुरीतियों का हो, होता रहा भी है मानस का क्यों ?