लखनऊ. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या में भव्य मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को औपचारिक निमंत्रण भेजा है. यह समारोह अगले साल जनवरी में आयोजित किया जाने की योजना बन रही है. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने प्रधानमंत्री को प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण भेजा है. इस समारोह में प्रधानमंत्री की उपस्थिति से देश की छवि और शक्ति मजबूत होने की उम्मीद है.
निमंत्रण पत्र में यह समारोह 15 से 24 जनवरी के बीच आयोजित होने की योजना बन रही है, लेकिन आयोजन की तारीख प्रधानमंत्री की उपलब्धता पर निर्भर करेगी. इस समारोह में लगभग 10 हजार लोगों को निमंत्रण भेजा जाएगा. प्रधानमंत्री ने अगस्त 2020 में राम मंदिर के ‘भूमि पूजन’ का शुभारंभ किया था. उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर 2019 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए अयोध्या में संबंधित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण करने के आदेश दिए थे.
Also Read: विदेशियों का भी दान स्वीकार करेंगे रामलला, FCRA की मंजूरी मिलते ही राम मंदिर के लिए एनआरआई भेज सकेंगे फंडमंदिर में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में देश के अत्यंत विशिष्ट अतिथियों की बड़ी संख्या के आने की संभावना के मद्देनजर, सुरक्षा एजेंसियों ने राम जन्मभूमि परिसर में होने वाले समारोह के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था की तैयारी शुरू कर दी हैं. इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि समारोह के दिन आम श्रद्धालुओं की आमद को नियंत्रित करना चाहती हैं क्योंकि भीड़ बढ़ने से सुरक्षाकर्मियों को परेशानी हो सकती है.
पिछले महीने मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने कहा था कि मंदिर ट्रस्ट को रामलला की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश के शीर्ष ज्योतिषियों ने 21, 22, 24 और 25 जनवरी को शुभ मुहूर्त बताया है. न्यास के एक अन्य सदस्य परमानंद गिरि जी महाराज ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लेकर किसी भी अनुकूल तारीख के बारे में प्रधानमंत्री से आग्रह किया जायेगा. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और कोषाध्यक्ष गोविंद गिरि जी महाराज की सदस्यता वाली एक समिति को इस बात पर विचार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है कि राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में किन्हें आमंत्रित किया जाएगा.
इस समय, ट्रस्ट ने इस साल दिसंबर तक मंदिर का निर्माण पूरा करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए श्रमिकों और तकनीशियनों की संख्या बढ़ा दी है. अब निर्माण कार्य चौबीसों घंटे अलग-अलग पालियों में किया जा रहा है. ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि पहले राम मंदिर परिसर में 550 कर्मचारी काम कर रहे थे, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में ट्रस्ट ने यह संख्या बढ़ाकर करीब 1,600 कर दी है. जो काम पहले 18 घंटे होता था, वह अब चौबीसों घंटे होने लगा है. ट्रस्ट ने दिसंबर तक भूतल का काम पूरा करने की समयसीमा तय की है ताकि जनवरी 2024 तक मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोला जा सके.
इस संबंध में, राम मंदिर की ओर जाने वाले मार्गों पर 22 करोड़ रुपये की लागत से पौधे लगाए जाएंगे तथा वन विभाग मौसमी फूलों के अलावा विभिन्न प्रकार के सजावटी पौधे लगाकर राम पथ, धर्म पथ और भक्ति पथ की सुंदरता बढ़ाएगा. अयोध्या के मंडलायुक्त ने बताया कि राम पथ में सड़क के दोनों किनारों पर फुटपाथ के साथ 500-500 मीटर की श्रृंखला में ताइबेबुया अर्जेंटिया (पीला रंग), ताइबेबुया रसिया (गुलाबी), ताइबेबुया की सजावटी श्रृंखला में लगभग 4,750 पौधे लगाए जाएंगे. वन विभाग को लगभग 17,000 पौधे लगाकर इन सड़कों की सुंदरता बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. अयोध्या को आस्था के शहर के साथ-साथ एक प्रदूषणमुक्त वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है और आस्था के भाव के साथ जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ, राम पथ जैसे मार्गों का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही धर्म पथ, पंच कोसी तथा चौदह कोसी परिक्रमा मार्गों के सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.
दीपावली तक अयोध्या के राम मंदिर का भूतल तैयार हो जाएगा.सूत्रों ने कहा है कि भूतल पर काम अंतिम चरण में है.राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य नृपेंद्र मिश्रा ने पिछले दिनों मंदिर निर्माण की स्थिति का जायजा लिया. रामलला की प्रतिमा के अभिषेक की तारीख तय नहीं की गई है.इसके मकर संक्रांति के बाद होने की संभावना है.
360 X235 वर्ग फीट की संरचना में भूतल पर 160 कॉलम, पहली मंजिल पर 132 कॉलम और दूसरी मंजिल पर 74 कॉलम होंगे. पांच मंडप होंगे. मंदिर में सागौन की लकड़ी से बने 46 दरवाजे होंगे. गर्भगृह के द्वार सोने के जड़ित होंगे. मंदिर संरचना के लिए राजस्थान से लगभग चार लाख क्यूबिक फीट पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया जाएगा. मंदिर गर्भगृह के ऊपर 161 फीट ऊंचा होगा . स्टील या ईंटों का कोई उपयोग नहीं होगा.
इसके अलावा मंदिर के अंदर कुबेर टीले पर एक शिव मंदिर और जटायु की मूर्ति भक्तों को आकर्षित करेगी. परिसर में एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, संग्रहालय, अभिलेखागार, अनुसंधान केंद्र, सभागार, एक पशु शेड, अनुष्ठानों के लिए एक स्थान, एक प्रशासनिक भवन और पुजारियों के लिए कमरे भी बनाए जा रहे हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रतापगढ़ दौरे में कहा था कि अगले साल के शुरुआत में ही रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. इस तरह से सैकड़ों वर्ष का इंतजार समाप्त हो जाएगा. इसको देखते हुए जल्द फोर लेने की कनेक्टिविटी से प्रतापगढ़ प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या से जुड़ जाएगा. उसके अगले साल 2025 में प्रयागराज में भव्य और दिव्य कुंभ का आयोजन होगा. इसी को ध्यान में रखकर यहां फोर लेन सड़क परियोजना का शिलान्यास किया जा रहा है, जो प्रतापगढ़ को प्रयागराज से जोड़ेगा.
नेपाल से अयोध्या लाई गईं दो दुर्लभ और पवित्र चट्टानों को राम मंदिर परिसर में संरक्षित किया जाएगा. कई परीक्षणों के बाद, वे (नेपाल की चट्टानें) राम लला की मूर्ति के लिए उपयुक्त नहीं पाईं गई, इस कारण भले ही उन्हें राम लला की मूर्ति के लिए उपयोग में नहीं लाया गया. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट के निर्माण में उपयोग करने से इंकार कर दिया था. नेपाल से दो विशाल शालिग्राम शिला को अयोध्या ले जायी गईं थीं. इनसे श्रीराम और माता सीता की मूर्तियां बना जायेंगी. दावा है कि ये शिलाएं करीब छह करोड़ साल पुरानी हैं. नेपाल में पोखरा स्थित शालिग्रामी नदी (काली गंडकी ) से यह दोनों शिलाएं जियोलॉजिकल और आर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की देखरेख में निकाली गयी थीं.
ट्रस्ट के एक सदस्य के अनुसार मूर्ति के लिए नेपाल से प्राचीन चट्टानों को बाहर करना एक कठिन निर्णय था. सदस्य ने कहा, “कई परीक्षणों के बाद, वे (नेपाल की चट्टानें) राम लल्ला की मूर्ति के लिए उपयुक्त नहीं पाए गए क्योंकि उनमें दरारें आ गई हैं.” “हालांकि, ट्रस्ट ने इन शिलाओं को राम मंदिर परिसर में ही रखने का फैसला किया है ताकि श्रद्धालु इनकी पूजा कर सकें. वे देवशिला हैं और उन्हें पूरा सम्मान दिया जाएगा.’ इस बीच, प्रसिद्ध मूर्तिकार कर्नाटक और राजस्थान की चट्टानों से भगवान राम की तीन मूर्तियों को तराश रहे हैं. उनमें से सर्वश्रेष्ठ को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. सदस्य ने कहा, “ट्रस्ट ने रामलला की मूर्ति के लिए कर्नाटक और राजस्थान की चट्टानों का उपयोग करने का फैसला किया है.”
अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में वाल्मीकि रामायण को चित्रों के माध्यम से सहेजा जा रहा है. वाल्मीकि रामायण के छह काण्ड (बाल से लेकर लंका काण्ड) के प्रमुख 98 श्लोकों को भित्तिचित्रों के माध्यम से निचले राम चबूतरे पर उकेरा जा रहा है. राम मंदिर में स्तंभों, पीठिका तथा अन्य स्थानों पर आध्यात्मिक पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के आधार पर मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रथम चरण के महत्वपूर्ण निर्माण कार्यों में गर्भगृह, पांच मंडप, भूतल, निचला चबूतरा एवं पूर्वी प्रवेश द्वार शामिल हैं. उन्होंने बताया कि निचले चबूतरे पर ‘रामकथा’ उकेरी जा रही है, जिसमें वाल्मीकि रामायण के 98 प्रमुख श्लोकों के आधार पर 98 भित्तिचित्र शामिल हैं. वाल्मीकि रामायण में कुल 24000 श्लोक हैं.
राम मंदिर में करीब 400 खम्भे होंगे, जिसमें भूतल में करीब 160 खम्भे और प्रथम तल पर 132 खम्भे और दूसरे तल पर 72 खम्भे होंगे. इसमें 46 दरवाजे होंगे, जो सागवान की लकड़ी के बने होंगे. सूत्रों ने बताया, ‘‘खम्भे का निर्माण काफी महीन एवं जटिल काम है, क्योंकि प्रत्येक खम्भे पर 14-16 मूर्तियां बनाई जा रही हैं.’’ समझा जाता है कि कुल 3600 मूर्तियों का निर्माण किया जायेगा, जो मंदिर को भव्यता प्रदान करेंगे.
भगवान राम के भव्य मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए तैयारियां भी जोरों पर हैं. इस महोत्सव का उत्साह पूरी अयोध्या में तो है ही इसके साथ ही देशभर में भी है. दुनियाभर से लोग यहां पहुंचेंगे. इस महोत्सव को लेकर उत्साह देखने को मिलेगा ऐसी उम्मीद भी है. विश्वभर के राम भक्तों से रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को एक उत्सव की तरह मनाने की श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपील की है. ट्रस्ट ने ये भी अपील की है कि देश और दुनिया में जितने भी मठ और मंदिर हैं वहां रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के इस उत्सव को पूरी भव्यता के साथ मनाएं. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर 1000 मंदिर और 5 लाख गांवों में अनुष्ठान होगा.
हरि अनंत हरि कथा अनंता।
— Champat Rai (@ChampatRaiVHP) July 27, 2023
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥ pic.twitter.com/CKsgBdv5Qa