Rampur: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री आजम खां को हेट स्पीच मामले में दो साल की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही उन पर ढाई हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. अदालत ने आजम खां को हेट स्पीच मामले में दोषी करार देने के बाद सजा का ऐलान किया.
रामपुर जनपद के शहजादनगर थाने में दर्ज नफरती भाषण देने के आरोप में अदालत ने ये सजा सुनाई है. आजम खां को सजा के ऐलान के बाद रामपुर सदर से भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने कहा कि कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर फैसला सुनाया है.
उन्होंने कहा कि आजम खां ने हमेशा से रामपुर के अल्पसंख्यकों और गरीबों पर जुल्म किया. जनता उन्हें पहले ही इसका सबक सीखा चुकी है. अब कोर्ट ने भी इस पर अपनी मुहर लगाई है. आजम अपने बचाव में जो भी दलीलें देते हैं, वह बेबुनियाद है. न्यायापालिका के फैसले से सब कुछ साफ हो गया है. अन्य मामलों में भी ऐसा ही होगा.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम खां रामपुर संसदीय सीट से सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार थे. चुनाव प्रचार के दौरान आजम खां विरोधियों पर लगातार कटाक्ष कर रहे थे. चुनावी जनसभा में उनका नफरती भाषण देने का वीडियो वायरल हुआ था, इसे लेकर काफी विवाद हुआ था. थाना शहजादनगर के धमोरा में आयोजित इस चुनावी जनसभा में भड़काऊ भाषण को लेकर तत्कालीन वीडियो निगरानी टीम प्रभारी अनिल कुमार चौहान ने दर्ज कराया था. इस मामले में आजम खां पर तत्कालीन मुख्यमंत्री, रामपुर के तत्कालीन जिला निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचन आयोग को निशाना बनाते हुए भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.
एफआईआर में कहा गया कि आजम खां ने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और अधिकारियों के प्रति आपत्तिजनक और भड़काऊ भाषण दिया. मुकदमे की विवेचना के बाद पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया. आजम खां को इस मुकदमे में कोर्ट से जमानत मिली हुई है.
संयुक्त निदेशक अभियोजन शिव प्रकाश पांडेय ने बताया कि इस प्रकरण की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट मजिस्ट्रेट ट्रायल में चल रही है. दोनों पक्षों की गवाही और बहस पूरी हो चुकी है. पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने फैसले के लिए 15 जुलाई की तारीख तय की थी.
पिछले साल रामपुर की सांसद-विधायक अदालत ने आजम खां को 2019 के एक अन्य नफरती भाषण मामले में दोषी ठहराया था और उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
इस बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री आजम खां की वाई श्रेणी की सुरक्षा पहले की तरह बहाल कर दी गई है. सरकार ने पहले सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया था. लेकिन, इसे वापस ले लिया गया है.
रामपुर पुलिस को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं. हालांकि आजम खां की सुरक्षा आगे भी बहाल रहेगी या उसमें कुछ कटौती होगी, इस संबंध में 18 जुलाई को राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति की बैठक में फैसला किया जाएगा.
इससे पहले राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति की बैठक 8 नवंबर 2022 को हुई थी. इसमें आजम खां की सुरक्षा को लेकर फैसला किया गया था, तब आजम खां जेल में थे. उस रिपोर्ट के आधार पर अब समिति के निर्णय के आठ माह बाद सुरक्षा हटाने के आदेश जारी किए गए.
आजम खां के आवास पर तैनात गार्ड भी हटा दिए गए. उनके आवास पर पांच पुलिस कर्मी तैनात थे, जबकि तीन अंगरक्षक उनके साथ चलते थे. इससे सपा में हड़कंप मच गया. पार्टी नेता इस फैसले का विरोध करने लगे, क्योंकि जमानत मिलने के बाद अब आजम खां जेल के बाहर हैं. इस पर सुरक्षा बहाल करते हुए राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति की बैठक का इंतजार किया जा रहा है कि उसमें इस बारे में क्या निर्णय किया जाएगा.
आजम खां को लंबे समय से यह सुरक्षा मिली हुई थी. समाजवादी पार्टी के तत्कालीन शासनकाल में उनकी सुरक्षा व्यवस्था में 95 पुलिसकर्मी लगे हुए थे. भाजपा की सरकार बनने के बाद भी उनकी वाई श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था बरकरार रखी गई थी. वाई श्रेणी की सुरक्षा के तहत वीवीआईपी नेता की सिक्योरिटी में कुल 11 जवान तैनात होते हैं. इसमें दो कमांडो और दो पीएसओ भी होते हैं.
आजम खां जेल से बाहर आने के बाद सामाजिक जीवन में सक्रिय हैं. राजनीतिक कार्यक्रमों में भी वह शिरकत कर रहे हैं. वह 2024 के चुनावों को लेकर कार्यकर्ताओं से मिल रहे है. आजम खां अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ मंगलवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ आम की दावत के लिए मलिहाबाद भी गए थे.
इससे पहले आजम खां ने राजधानी लखनऊ में पार्टी कार्यालय में अखिलेश यादव के साथ काफी समय बिताया. कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं में राजनीतिक मुद्दों, खासकर विपक्षी गठबंधन और लोकसभा चुनाव की रणनीति से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. आजम नियमित रूप से रामपुर में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं.