लखनऊ : सीबीआई की विशेष अदालत अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में 30 सितंबर को फैसला सुनायेगी. विशेष सीबीआई न्यायाधीश एसके यादव ने सभी अभियुक्तों को फैसले वाले दिन अदालत में हाजिर रहने के निर्देश दिये हैं. मामले के कुल 32 जीवित अभियुक्तों में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती तथा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी शामिल हैं.
सीबीआई के वकील ललित सिंह ने बुधवार को बताया कि अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों की प्रक्रिया एक सितंबर को संपन्न होने के बाद अदालत ने फैसला लिखना शुरू कर दिया था. अदालत अब इस मामले में 30 सितंबर को फैसला सुनायेगी. अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को एक उन्मादी भीड़ ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी. इस मामले में कुल 48 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, जिनमें से 16 की वाद विचारण के दौरान मृत्यु हो चुकी है.
सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सुबूत अदालत में पेश किये विशेष सीबीआई अदालत में सभी 32 अभियुक्तों ने लिखित दलीलें 31 अगस्त को दाखिल की थी. इस मामले में अदालत में पेश हुए सभी अभियुक्तों ने अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताया और केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर दुर्भावना से मुकदमे दर्ज कराने का आरोप लगाया था.
पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने गत 24 जुलाई को सीबीआई अदालत में दर्ज कराये गये बयान में तमाम आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वह पूरी तरह से निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक कारणों से इस मामले में घसीटा गया है. इससे एक दिन पहले अदालत में अपना बयान दर्ज करानेवाले पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने भी लगभग ऐसा ही बयान देते हुए खुद को निर्दोष बताया था.
बाबरी विध्वंस के समय राज्य के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह ने गत 13 जुलाई को सीबीआई अदालत में बयान दर्ज कराते हुए कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सियासी बदले की भावना से प्रेरित होकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. उन्होंने दावा किया था कि उनकी सरकार ने अयोध्या में विवादित ढांचे की त्रिस्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित की थी. उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को मामले का निबटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिये थे, लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा दी गयी थी.