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UP News: अमरमणि त्रिपाठी फिर जाएंगे जेल की सलाखों के पीछे, 22 साल पुराने अपहरण कांड में गैर जमानती वारंट जारी

बस्ती एमपी एमएलए कोर्ट ने अपहरण के मामले में सुनवाई करते हुए अमरमणि त्रिपाठी की गिरफ्तारी का आदेश देने के साथ पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने बस्ती के पुलिस अधीक्षक को पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की गिरफ्तारी को 1 नवंबर को पेश करने का आदेश दिया है.

Amarmani Tripathi News: यूपी के बहुचर्चित कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में कुछ हफ्ते पहले जेल से रिहा हुए पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं. 22 साल पुराने मामले में पूर्व मंत्री को एक बार फिर जेल की सलाखों के पीछे जाना होगा. उत्तर प्रदेश में बस्ती की एमपी-एमएलए कोर्ट ने व्यापारी धर्मराज के बेटे के बहुचर्चित अपहरण कांड में अमरमणि के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी की गिरफ्तारी के लिए बस्ती के पुलिस अधीक्षक को विशेष टीम गठित करने का आदेश दिया है. अदालत के आदेश के बाद वारंट को तामील कराने और अमरमणि त्रिपाठी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने के लिए विशेष टीम गठित की जा रही है. इसके साथ इस मामले में गैरहाजिर नैनी शर्मा और शिवम उर्फ रामयज्ञ को फरार घोषित करने का आदेश भी पुलिस को दिया है. इसके बाद व्यापारी धर्मराज के बेटे का अपहरण कांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. अमरमणि त्रिपाठी कोई न कोई बहाना बनाकर लंबे समय से कोर्ट में हाजिर होने से बच रहे हैं. अब कोर्ट के आदेश के बाद स्पेशल टीम उनकी गिरफ्तारी के लिए गोरखपुर रवाना होगी. हालांकि अमरमणि त्रिपाठी इस समय कहां हैं, ये अभी साफ नहीं हो पाया है. जेल से रिहा होने के बाद से वह अभी तक सामने नहीं नजर आए हैं. बेटे अमनमणि त्रिपाठी ने उनकी तबीयत ठीक नहीं होने की बात कही थी.

अमरमणि त्रिपाठी की 1 नवंबर को कोर्ट में होगी पेशी

बस्ती एमपी एमएलए कोर्ट ने अपहरण के मामले में सुनवाई करते हुए अमरमणि त्रिपाठी की गिरफ्तारी का आदेश देने के साथ पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने बस्ती के पुलिस अधीक्षक को पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की गिरफ्तारी के लिए स्पेशल टीम गठित करते हुए वारंट तामील कराने के साथ 1 नवंबर को पेश करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इससे पहले भी अमरमणि त्रिपाठी को न्यायालय में उपस्थित किए जाने का आदेश पारित किया गया था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए. जबकि वरिष्ठ जेल अधीक्षक जिला कारागार गोरखपुर की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश शासन कारागार प्रशासन ने अमरमणि को 25 अगस्त को कारागार से रिहा कर दिया गया है. इसके बावजूद अमरमणि त्रिपाठी का कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई.

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कोर्ट में हाजिर होने से बचने के लिए बनाया जा रहा बहाना

इससे पहले 16 सितंबर को एमपी एमएलए कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि डिप्रेशन के आधार पर अमरमणि त्रिपाठी को कोर्ट से पेशी की छूट नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही अन्य दो मामलों में भी अमरमणि त्रिपाठी फरार बताए जा रहे हैं. गोरखपुर में गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने कहा था कि आरोपी डिप्रेशन के आधार पर कितने दिन जिला कारागार में निरुद्ध रहा और कितने दिन अस्पताल में भर्ती रहा, इसकी रिपोर्ट अगली तारीख में पेश की जाए.

वर्ष 2001 का है अपहरण कांड

दरअसल छह दिसंबर 2001 को हुए अपहरण कांड में न्यायालय ने अमरमणि सहित तीन वांछितों को कई बार गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने का आदेश पारित किया, लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार करने में नाकाम रही. काफी दिनों तक वह मधुमिता शुक्ला हत्याकांड केस में लखनऊ, गोरखपुर समेत विभिन्न जेलों में बंद रहा. इस दौरान न्यायालय ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक को तारीख पर उसे हाजिर करने का निर्देश दिया, लेकिन बीमारी आदि का बहाना बनाकर उसकी पेशी टलती रही. 24 अगस्त को अदालत की ओर से गोरखपुर सीएमओ से मेडिकल बोर्ड गठित कर अमरमणि के स्वास्थ्य की रिपोर्ट मांगी गई थी.

11 सितंबर को सीएमओ स्तर से गठित पांच सदस्यीय बोर्ड की रिपोर्ट में अमरमणि काे अवसाद की बीमारी बताते हुए उसका इलाज राज्य चिकित्सा परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ के निर्देश के अनुसार चलने की बात कही गई थी. कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट पर टिप्पणी करते कहा है कि मात्र अवसाद के आधार पर किसी अभियुक्त को कोर्ट आने से अवमुक्त नहीं किया जा सकता.

पूर्व विधायक समेत 9 लोग आरोपित

बस्ती जनपद में 6 दिसंबर 2001 को कोतवाली क्षेत्र के गांधीनगर के धर्मराज गुप्ता का बेटा बेटे का अपहरण हो गया था. तत्कालीन विधायक अमरमणि त्रिपाठी के लखनऊ स्थित आवास से पुलिस ने धर्मराज के बेटे को बरामद किया. इस मामले में पूर्व विधायक समेत 9 लोग आरोपित हैं. इनमें पूर्व विधायक अमरमणि त्रिपाठी नैनीश शर्मा और शिवम उर्फ राम यज्ञ कोर्ट से गैरहाजिर चल रहे हैं, जिससे मुकदमे की कार्रवाई लंबित है.

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