Farm Laws Politics: पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. इस पर लगातार विपक्षी दल मोदी सरकार पर हमलावर हैं. इस मसले पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी. अब, बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने भी पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने चिट्ठी में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर कानून बनाने की मांग की है. इसके अलावा किसानों की दूसरी मांगों पर तुरंत फैसले लेने की मांग भी चिट्ठी में की गई है
सीनियर पदों पर बैठे कई नेताओं ने किसानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया है. इस कारण किसानों के प्रति हिंसा का माहौल बना. यही कारण था कि लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को पांच किसानों को गाड़ी से कुचल दिया गया. लखीमपुर की घटना हमारे लोकतंत्र पर धब्बा है.
वरुण गांधी, सांसद, बीजेपी
बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने चिट्ठी में लिखा है- ‘किसान आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसान भाई और बहन शहीद हो गए. उन्होंने कठिन परिस्थितियों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला पहले लिया गया होता तो कई मासूमों की जान बच जाती. किसानों के परिवारों के प्रति शोक संत्वना जारी करने के बाद हर शहीद किसान परिवार को एक करोड़ रुपए देने की घोषणा हो. इसके अलावा किसानों पर राजनीति से प्रेरित दर्ज सारे मामले को वापस लिए जाएं.’
वरुण गांधी ने आगे लिखा- ‘देश में 85 प्रतिशत छोटे और मध्यम किसान हैं. इन्हें सशक्त करने के लिए उन्हें गारंटी के साथ एमएसपी दी जाए. यह आंदोलन किसानों की सारी मांगों के पूरा होने तक जारी रहेगा. किसानों को एमएसपी का भुगतान लागत के हिसाब से तय हो. किसानों और देश के हित को देखते हुए केंद्र सरकार तुरंत उनकी मांगों को स्वीकार करे. केंद्र सरकार का फैसला किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही उनकी हालत में सुधार के लिए अहम निर्णय साबित होगा.’
वरुण गांधी ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा है कि सीनियर पदों पर बैठे कई नेताओं ने किसानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया है. इस कारण किसानों के प्रति हिंसा का माहौल बना. यही कारण था कि लखीमपुर खीरी में पांच किसानों को गाड़ी से कुचल दिया गया. लखीमपुर घटना हमारे लोकतंत्र पर धब्बा है. वरुण गांधी ने लखीमपुर की घटना को लेकर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. जिससे घटना की सही जांच हो सके. साथ ही किसानों की मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार करने को कहा है. ताकी, देश के प्रजातांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को बचाया जा सके.