UP Politics: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर प्रदेश में सियासी दलों की तैयारी तेज हो गई है. भाजपा एक बार फिर केंद्र में काबिज होने का दावा कर रही है तो कांग्रेस को भी अच्छे दिनों की उम्मीद है. वहीं देश भर के क्षेत्रीय दल केंद्र की सियासत में अपनी मजबूत भागीदारी चाहते हैं. इसीलिए हर किसी की निगाह यूपी की 80 लोकसभा सीट पर लगी है.
यूपी में दलित वोट 22.5 प्रतिशत है. सभी सियासी दल लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अपने बेस वोट के साथ दलित वोट को साधने की कोशिश में लगे हैं. हालांकि, यह वोट बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का माना जाता था. मगर, वर्ष 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा की पकड़ दलित मतदाताओं से लगातार कमजोर होती जा रही है. इसीलिए एक साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में बसपा को करीब 13 फीसद वोट मिल पाए थे. जिसके चलते बसपा का सिर्फ एक विधायक चुनकर सदन तक पहुंचा.
कोलकाता में आयोजित सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दलितों को साधने के लिए संविधान में परिवर्तन किया गया है. डॉक्टर राम मनोहर लोहिया को आदर्श मानने वाली सपा डॉ.अंबेडकर के बाद बसपा संस्थापक कांशीराम में भी अपना सियासी भविष्य देख रही है. सपा यादव, मुस्लिम के साथ दलित मतदाताओं को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. इसीलिए बीते सोमवार को रायबरेली के दीन शाह गौरा ब्लाक स्थित काशीराम महाविद्यालय में बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अनावरण किया. सपा ने 14 अप्रैल को डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर हर जिले में बड़े-बड़े कार्यक्रम करने की रणनीति बनाई है. सपा ने समाजवादी बाबासाहेब आंबेडकर वाहिनी का गठन किया गया, जो दलित समाज में काम कर रही है.
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केंद्र में भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश में है. वह दलितों को साधने के लिए कोई कोशिश नहीं छोड़ना चाहती. इसलिए 7 अप्रैल को कौशांबी महोत्सव में दलित सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शामिल होंगे. कौशांबी महोत्सव का आयोजन यहां के सांसद विनोद सोनकर करवा रहे हैं. भाजपा ने 17 नगर निगम में सामाजिक सम्मेलन कराने की तैयारी की है. इन सम्मेलन में दलित समाज की योजनाओं के साथ ही समाज में बराबरी देने का एहसास कराएगी.
कांग्रेस ने दलित समाज के मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर देशभर के दलितों को साधने की कोशिश की है. इसके साथ ही यूपी में दलित चेहरे के रूम में बृजलाल खाबरी को कांग्रेस की कमान सौंपी है. राहुल गांधी पंजाब में बसपा संस्थापक कांशीराम की बहन से भी मुलाकात कर चुके हैं. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में काशीराम के परिवार से चुनाव प्रचार कराने की कोशिश चल रही है.
देश में बसपा तीसरी राष्ट्रीय पार्टी है. लेकिन, कुछ समय से लगातार बसपा का वोट कम हो रहा है. इसलिए पार्टी सुप्रीमो ने दलित युवाओं को जोड़ने की खास तैयारी की है. बसपा सत्ता से करीब 18 वर्ष से बाहर है. नए युवाओं को बसपा के दलित समाज के लिए किए गए संघर्ष और त्याग की जानकारी नहीं है. इसलिए उन्हें इससे वाकिफ कराया जाएगा. इसके साथ ही दलित युवाओं को संगठन में जिम्मेदारी और टिकट देने का भी प्लान है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद बरेली