देश में इन दिनों कथित जासूसी का मुद्दा (Alleged Snooping Issue) गर्माया हुआ है. विपक्षी पार्टियां सरकार पर लगातार हमलावर हैं. बहुजन समाज पार्टी (bahujan samaj party) ने भी कथित जासूसी की आलोचना की है. हालांकि वह कांग्रेस (Congress) या तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विरोध में शामिल नहीं हुई. अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से बसपा सांसद रितेश पांडे (BSP MP Ritesh Pandey) ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. यह लोगों की निजता पर हमला है, लेकिन यह कुछ ऐसा है जो पिछली सरकारों ने दूसरे तरीकों से भी किया है.
बसपा सांसद रितेश पांडे ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, यह (जासूसी) राजनीतिक विरोधियों को वश में करने के लिए ईडी और सीबीआई के इस्तेमाल के जैसा है. यह एक खतरनाक हथियार है, जिसे सुर्खियों में लाया गया है. हमारी नेता मायावती (Mayawati) ने साफ तौर पर कहा है कि अगर जासूसी की बात सच है तो यह लोकतंत्र पर हमला है.
रितेश पांडे ने कहा, हम तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. हमारा मानना है कि उन्हें रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा और किसानों के साथ उचित परामर्श के बिना लाए गए थे.
बसपा और अकाली दल के गठबंधन (BSP-SAD Alliance) के सवाल पर बसपा सांसद रितेश पांडे ने कहा, पंजाब (Punjab) में हमारा गठबंधन है. वे हमारे सहयोगी हैं और ये मुद्दे हमारी पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हैं. हम किसानों को आश्वस्त करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि उनकी बात सुनी जाए.
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सदन में विभाजित विपक्ष पर बसपा सांसद ने कहा, विपक्ष के अपने-अपने मुद्दे हैं. हम एक ऐसी पार्टी हैं, जिसकी जड़ें ग्रामीण भारत में हैं. इसलिए हमारे लिए किसान महत्वपूर्ण हैं और हमारी प्राथमिकता में है. जासूसी (Snooping) भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और हमने इसे संसद में भी उठाया है क्योंकि हम इसके विरोध में भी खड़े हैं, लेकिन कांग्रेस ने अतीत में ऐसा किया है. हम उस दोहरे मापदंड का हिस्सा नहीं बनना चाहते जिसका पार्टी प्रतिनिधित्व करती है.
पिछले सोमवार से सदन नहीं चल रहा है. क्या आपको नहीं लगता कि कोई रास्ता निकालना चाहिए? इस पर बसपा सांसद रितेश पांडे ने कहा, जाहिर है इसका तरीका यह है कि चर्चा की जाए और जनता की चिंताओं को दूर किया जाए. विपक्ष सरकार के सिक्के का दूसरा पहलू है. अगर उनके विचार लोगों से जुड़े हैं तो सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कोई रास्ता निकालना चाहिए. सरकार कहती रहती है कि वह चर्चा के लिए तैयार है. फिर उसे इसे सूचीबद्ध करना चाहिए और इसके लिए एक समय निर्धारित करना चाहिए. एक बार यह हो जाने के बाद सदन क्रम में होगा.
Posted by : Achyut Kumar